Sri Lanka PTA Law: श्रीलंका सरकार विवादास्पद आतंकवाद रोकथाम कानून (पीटीए) की जगह नये आतंकवाद-रोधी कानून का मसौदा तैयार कर रही है. न्याय मंत्री विजयदास राजपक्षे (Wijeyadasa Rajapakshe) ने रविवार को यह जानकारी दी. पीटीए (PTA) को तमिल अल्पसंख्यक चरमपंथी समूहों की हिंसा का मुकाबला करने के लिए वर्ष 1979 में एक अस्थायी व्यवस्था के रूप में पेश किया गया था.


अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों और तमिल पक्षकारों ने इसे एक कठोर कानून करार दिया है, जिसके तहत अदालतों में आरोपपत्र दायर किए बिना दशकों तक तमिलों को हिरासत में रखा गया. कैंडी जिले में पत्रकारों को संबोधित करते हुए राजपक्षे ने कहा, "विशेषज्ञों के एक समूह की ओर से गहन पड़ताल के बाद एक नए अधिनियम का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया जारी है."


यूरोपीय संघ ने डाला था दबाव


विजयदास राजपक्षे ने कहा कि हम आतंकवाद-रोधी कानून लाने के इच्छुक हैं ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. यूरोपीय संघ (ईयू) ने श्रीलंका सरकार पर पीटीए को निरस्त करने का दबाव डाला था. 2021 के मध्य में यूरोपीय संघ की संसद ने संकल्प लिया था कि जब तक सरकार पीटीए को निरस्त करने के लिए कार्रवाई नहीं करती, तब तक श्रीलंकाई निर्यात के लिए (सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली) जीएसपी+ की तरजीही व्यापार सुविधा को समाप्त कर दिया जाना चाहिए. 


ये कानून अदालतों में पेश किए बिना व्यक्तियों को अनिश्चितकालीन हिरासत में रखने की अनुमति देता है. पहले केवल उत्तरी तमिल अल्पसंख्यकों ने इसको निरस्त करने की मांग की थी. हालांकि सिंहल बहुमत वाले दक्षिण में इस साल जुलाई से इसको निरस्त करने की मांग बढ़ गई थी.


पीटीए के खिलाफ हुआ था विरोध प्रदर्शन


पूर्व राष्ट्ररति गोटबाया के उत्तराधिकारी रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने प्रदर्शनों को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर पीटीए (PTA) का इस्तेमाल किया था. प्रदर्शनकारी छात्र नेताओं, जिनमें एक बौद्ध भिक्षु भी शामिल है, वर्तमान में पीटीए के तहत जेल में बंद हैं. अगस्त में उनकी रिहाई और पीटीए को निरस्त करने की मांग को लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं. 


ये भी पढ़ें- 


Syria Turkey Border: तुर्की की एयर स्ट्राइक का रॉकेट हमले से जवाब, दोनों देशों के बीच क्यों छाये तनाव के बादल?