Taliban Attack issue: अफगानिस्तान में तालिबानी हमलों से गंभीर होते हालात के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विशेष सत्र शुक्रवार को न्यूयॉर्क में आयोजित किया जा रहा है. भारत की अगुवाई में होने वाले महत्वपूर्ण सत्र में अफगानिस्तान के नाजुक हालात को संभालने और तालिबानी हिंसा को नियंत्रित करने के उपायों पर वैश्विक पंचायत मंथन करेगी.


भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुन्दजई ने सुरक्षा परिषद का विशेष सत्र बुलाए जाने के फैसले को सकारात्मक और महत्वपूर्ण कदम करार दिया है. उन्होंने कहा कि आतंकी हिंसा के कारण अफगानिस्तान में बन रहे मानवीय त्रासदी के हालात पर वैश्विक बिरादरी को अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए. अफगान राजदूत ने सुरक्षा परिषद में भारतीय अध्यक्षता के दौरान लिए गए इस फैसले पर भारत की सराहना भी की.


बैठक बुलाने का निर्णय


महत्वपूर्ण है कि गत 3 अगस्त को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर को फोन कर सुरक्षा परिषद का विशेष सत्र बुलाए जाने की अपील की गई थी. इसके बाद भारत ने सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों के साथ मशवरा कर 6 अगस्त को सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक बुलाने का निर्णय किया. सुरक्षा परिषद की बैठक सामान्यतया न्यूयॉर्क समयानुसार करीब 10 बजे यानी भारतीय टाइम के मुताबिक शाम 7:30 पर शुरू होती है.


सुरक्षा परिषद से विशेष सत्र बुलाने की अपील करने के साथ ही अफगानिस्तान सरकार ने काबुल में विदेशी राजनयिकों को बुलाकर तालिबान की तरफ से की जा रही हिंसा और अत्याचारों की एक विस्तृत ब्रीफिंग की. साथ ही अफगान सरकार ने तालिबान के साथ लड़ रहे लश्कर-ए-तैयबा, तुर्कमेनिस्तान इस्लामिक मूवमेंट, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, अल कायदा समेत कई आतंकी संगठनों के विदेशी लड़ाकों की भूमिका को भी सामने रखा.


ये होगा अहम मुद्दा


माना जा रहा है रहा है कि सुरक्षा परिषद के सामने भी अफगानिस्तान में विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी और भूमि का एक अहम मुद्दा होगा. यह बात किसी से छुपी नहीं है कि तालिबान के साथ मौजूद विदेशी आतंकवादियों में एक बहुत बड़ी संख्या पाकिस्तानी आतंकियों की है. यूएन में होने वाली बैठक से पहले भारतीय विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि अफगानिस्तान के हालात पर भारत लगातार नजर बनाए हुए हैं और साथ ही एक व्यापक संघर्षविराम की अपील करता है.


उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और अफगानिस्तान के संबंध काफी व्यापक है. जिसमें एक मजबूत विकास साझेदारी शामिल है. साथ ही दोनों देशों के बीच एक रणनीतिक साझेदारी भी है जो 2011 के रणनीतिक सहयोग समझौते से संचालित है. वहीं सुरक्षा परिषद की बैठक में अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर भारत अपनी बात रखेगा और साथ ही प्रयास करेगा की उत्पादक चर्चा हो सके.


गौरतलब है की सुरक्षा परिषद ने 3 अगस्त को एक बयान जारी कर अफगानिस्तान में तालिबान लड़ाकों की आक्रामक सैन्य कार्रवाई के कारण बढ़ी हिंसा पर अपनी गंभीर चिंताएं जाहिर की थी. सुरक्षा परिषद ने मासूम नागरिकों, यूएन स्टाफ और संयुक्त राष्ट्र कार्यालयों को निशाना बनाते हुए किए गए हमलों को युद्ध अपराध के बराबर बताते हुए संकल्प जताया कि इस तरह की कार्यवाही करने वालों को सजा दिलाना जरूरी है.



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