स्पेन से एक चौंकाने वाली खबर आई है. जिस कोरोना वायरस के बारे में कहा जा रहा था कि उसकी उत्पत्ति चीन के वुहान से हुई है मगर एक नए अध्ययन में इसको लेकर अलग दावा किया जा रहा है. स्पेन के शहर बार्सिलोना में मार्च 2019 से ही दूषित पानी में कोरोना वायरस के होने का पता चला है.


क्या दूषित पानी में भी होता है कोरोना वायरस?


इस बात का खुलासा बार्सिलोना यूनिवर्सिटी के शोध में किया गया है. दूषित पानी में वायरस का पता लगाने के लिए SARS-CoV-2 प्रोजेक्ट का गठन किया गया था. जिससे भविष्य में पैदा होनेवाली महामारी के प्रति वक्त से पहले उपाय किए जा सकें. शोध टीम का हिस्सा रोजा मारिया पिंटो और अलबर्ट बोश थे. शोधकर्ताओं ने बार्सिलोना में वाटर ट्रीटमेंट के दो बड़े संयत्र में इस्तेमाल किए गए या दूषित पानी का अध्ययन किया. उनका मकसद ये था कि क्या दूषित पानी के अध्ययन से कोरोना वायरस के फैलने का सुराग लगाने में कोई मदद मिल सकती है?


बोश का कहना है, "बार्सिलोना में पर्यटक और प्रोफेशनल आते रहते हैं. संभव है कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह का मामला पेश आया हो. चूंकि कोविड-19 के ज्यादातर मामलों में फ्लू (जुकाम) के एक ही जैसे लक्षण जाहिर होते हैं, इसलिए उनकी पहचान फ्लू के तौर पर की गई होगी." शोधकर्ताओं का कहना है कि बहुत ज्यादा मरीजों में कोरोना वायरस के मामूली लक्षण पाए गए. या उनमें लक्षण जाहिर ही नहीं हुए थे मगर बीमारी का शिकार थे. इसलिए दूषित पानी पर शोध से कोरोना वायरस के मामलों का सुराग लगाने में मदद मिल सकती है. प्रोफेसर बोश का कहना है कि कोविड-19 का शिकार होने वालों को शुरू में गलती से जुकाम के तौर पर पहचान किया गया था. इसलिए स्वास्थ्य मोर्च पर उठाए गए उपाय से पहले ही वायरस आबादी में फैलता चला गया. शोध के बारे में उनका कहना है कि इस सिलसिले में अभी और अध्ययन किए जाने की जरूरत है.


बार्सिलोना यूनिवर्सिटी के शोध में खुलासा


अगर विशेषज्ञ इसकी पुष्टि कर देते हैं तो ये इस बात का सबूत होगा कि कोरोना वायरस वैज्ञानिकों को पता चलने से काफी समय पहले फैल चुका था. आपको बता दें कि कोरोना वायरस का पहला मामला यूरोपीय मुल्क फ्रांस में जनवरी 2020 में सामने आया था. उसके 40 दिन बाद 25 फरवरी को स्पेन ने कोरोना वायरस के पहले मामले की आधिकारिक पुष्टि की. गौरतलब है कोरोना वायरस को लेकर दुनिया भर में शोध जारी है. इटली के वैज्ञानिकों की भी इसी से मिलते जुलते शोध के नतीजे सामने आ चुके हैं. जिसमें उत्तरी इटली में दिसबंर 2019 में ही इस्तेमाल किए गए पानी के नमूनों में कोविड-19 के सबूत मिलने की बात कई गई थी. प्रांसीसी वैज्ञानिकों ने मई में अपने शोध के नतीजे में बताया था कि एक शख्स 27 दिसंबर को कोरना वायरस का शिकार पाया गया था जबकि फ्रांस ने उसके एक महीने बाद अपने यहां कोरोना के पहले मामले का ऐलान किया था.


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