बीजिंग: कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया का हाल बेहाल कर दिया है. इस वायरस ने दुनिया के हर देश को अपनी चपेट में ले लिया है. अमेरिका, ब्राजील, रूस, जापान जैसे बड़े-बड़े देश भी इसके प्रकोप से बच नहीं सके. दुनिया में सिर्फ एक देश ही ऐसा है जहां पहले महामारी भयंकर रूप से फैली, फिर उसे अच्छे से काबू भी कर लिया गया. चीन ने कोरोना के खिलाफ मजबूत इच्छा शक्ति दिखाई है.


चाइना मीडिया का कहना है कि चीन सरकार और चीनी जनता ने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में संयम और संकल्प का परिचय दिया है. चीन ने पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका की तुलना में बहुत बेहतर काम किया है. चीन ने इस महामारी को हेल्थ इमरजेंसी माना. उसने अन्य प्रांतों और क्षेत्रों में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए राष्ट्रीय संयुक्त रोकथाम और नियंत्रण तंत्र स्थापित किए. इस दौरान चीनी लोगों ने अपनी सरकार का पूरा साथ दिया और अपने असाधारण प्रयासों के साथ इस महामारी के खिलाफ जनयुद्ध लड़ा.


चीन ने नहीं बरती लड़ाई में कोई ढील 


खास बात ये है कि महामारी पर लगभग जीत हासिल करने के बावजूद चीन ने अपनी लड़ाई में कोई ढील नहीं बरती. चीन ने जब महामारी की पहली लहर को नियंत्रित कर लिया, तो उसके बाद से चीनी जनता ने नए प्रकोप के लिए और ज्यादा सतर्कता बरती. यही वजह है कि आज चीन में नए घरेलू संक्रमणों की संख्या को लगभग शून्य पर ला दिया है, लेकिन उसके लिए चीन को भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ी है.


आज जहां अमेरिका, ब्राजील, भारत, रूस और पेरू जैसे देशों में कोरोना के मामले और मरने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं चीन में कोरोना के मामले शून्य की तरफ जाते दिख रहे हैं. यकीनन, चीन में कोरोना के प्रकोप को नियंत्रित करने की क्षमता है, और इससे चीन की अर्थव्यवस्था को बल भी मिला है.


अभी खत्म नहीं हुई है जंग
आज दुनियाभर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 1.11 करोड़ के पार पहुंच गई है, जबकि अब तक 5.28 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना ने सबसे ज्यादा दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को प्रभावित किया है. यहां लोगों का हाल सबसे ज्यादा बेहाल है. इस समय अमेरिका में मरीजों की संख्या 29 लाख पहुंच चुकी है, जबकि 1.32 लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.


इसलिए चीन ये भली-भांति जानता है कि अभी कोरोना के खिलाफ उसकी लड़ाई पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है. दरअसल, यह एक वैश्विक लड़ाई है, और अन्य देशों में जो स्थितियां हैं, वे चीन के युद्ध मैदान को प्रभावित कर सकती हैं.


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