Impeach Motion Against Yoon Suk Yeol: दक्षिण कोरिया इन दिनों गंभीर राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा है. राष्ट्रपति यून सुक योल का मार्शल लॉ लागू करने का प्रयास, उसके बाद का विरोध प्रदर्शन और विपक्ष की ओर उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाना, ये सभी घटनाएं साउथ कोरिया की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सरकार की स्थिरता को प्रभावित कर रहा है.

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विपक्ष ने राष्ट्रपति यून सुक योल के खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव लाया, जो कि शनिवार (07 दिसंबर, 2024) को कम वोटों के कारण पास नहीं हो पाया. यूं की सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों के मतदान का बहिष्कार किए जाने के कारण प्रस्ताव आवश्यक कोरम को पूरा नहीं कर सका. नेशनल असेंबली के अध्यक्ष वू वोन-शिक ने महाभियोग प्रस्ताव को अमान्य घोषित करते हुए कहा, "कुल 195 वोटों के साथ, वोटिंग करने वाले सदस्यों की संख्या कुल सदस्यों के आवश्यक दो-तिहाई बहुमत तक नहीं पहुंच पाई. इसलिए, मैं घोषणा करता हूं कि इस मामले पर मतदान वैध नहीं है."

महाभियोग प्रस्तावविपक्ष ने राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया, लेकिन सत्तारूढ़ पीपुल्स पावर पार्टी (PPP) के सांसदों के बहिष्कार के कारण यह पारित नहीं हो सका. नेशनल असेंबली के अध्यक्ष ने प्रस्ताव को अमान्य घोषित कर दिया क्योंकि यह आवश्यक कोरम तक नहीं पहुंच सका. लगभग 149,000 प्रदर्शनकारी (आयोजकों के अनुसार एक मिलियन से अधिक) यून के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे. विरोध प्रदर्शनों में ठंड के मौसम के बावजूद भारी जनसमर्थन देखने को मिला.

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राष्ट्रपति यून की माफीयून ने टेलीविजन पर अपने आदेश के लिए माफी मांगी, लेकिन इस्तीफा देने से इनकार कर दिया. उनकी माफी जनता और विपक्ष को शांत करने में असफल रही. राष्ट्रपति की स्वीकृति रेटिंग 13% के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है. विपक्ष ने आरोप लगाया कि यून ने अपने परिवार से जुड़े घोटालों से ध्यान हटाने के लिए मार्शल लॉ का सहारा लिया.वरिष्ठ सैन्य कमांडरों को निलंबित किया गया और रक्षा मंत्री ने इस्तीफे की पेशकश की. सेना और प्रशासन में अव्यवस्था की स्थिति बनी हुई है.

3 दिसंबर (मंगलवार) की रात राष्ट्रपति यून सुक योल ने अचानक से देश में मॉर्शल लॉ का ऐलान कर दिया था. हालांकि देश में मार्शल लॉ बस कुछ घंटे तक ही रह पाया. जनता के भारी विरोध के बाद वापस ले लिया गया. इस आदेश ने जनता और विपक्ष में गहरी नाराजगी पैदा की. संसद की विपक्ष के साथ-साथ योल की अपनी पार्टी के नेताओं ने भी इस उनके इस फैसले की खूब आलोचना की. इसके बाद विपक्ष के संसदों ने वोटिंग कराकर मॉर्शल लॉ को खारिज किया था.

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