एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) सम्मेलन के दौरान दक्षिण कोरिया और चीन के बीच एक अहम कूटनीतिक कदम देखने को मिला. हाल ही में निर्वाचित दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने शनिवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पहली बार मेजबानी की. यह मुलाकात दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू शहर में आयोजित हुई, जहाँ दोनों नेताओं ने राज्य स्तरीय बैठक और डिनर में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया. इस यात्रा की खास बात यह रही कि शी जिनपिंग करीब एक दशक बाद दक्षिण कोरिया पहुंचे, जिससे दोनों देशों के संबंधों में नई ऊर्जा आने की उम्मीद जताई जा रही है.
बैठक के दौरान राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने उत्तर कोरिया के साथ वार्ता बहाल करने में चीन से मदद की अपील की. उन्होंने कहा कि चीन और उत्तर कोरिया के बीच हाल ही में हुए उच्चस्तरीय संवाद से यह संकेत मिल रहे हैं कि उत्तर कोरिया से बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बन रहा है. ली ने कहा, “मैं चाहता हूं कि दक्षिण कोरिया और चीन इस सकारात्मक माहौल का फायदा उठाकर रणनीतिक संचार को मजबूत करें और उत्तर कोरिया के साथ संवाद फिर से शुरू करें.”
क्यों अहम है ये बैठक?
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह बैठक दोनों देशों के लिए आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से अहम रही. ली जे म्युंग ने बैठक के दौरान शी जिनपिंग को पारंपरिक चीनी रणनीतिक खेल ‘गो’ के लिए उच्च गुणवत्ता वाला लकड़ी का बोर्ड उपहार में दिया. उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया, चीन को अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के रूप में और अधिक नज़दीक लाना चाहता है.
शी जिनपिंग ने क्या कहा?
वहीं शी जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा, “चीन और दक्षिण कोरिया ऐसे महत्वपूर्ण पड़ोसी हैं जिन्हें न तो हटाया जा सकता है और न ही अलग किया जा सकता है. दोनों देशों को सहयोग और विश्वास के साथ आगे बढ़ना चाहिए.”
बैठक में दोनों नेताओं के बीच क्या हुई बात?
बैठक में दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और एशिया में सुरक्षा संतुलन बनाए रखने पर भी चर्चा की. दक्षिण कोरिया, जो अमेरिका का रणनीतिक सहयोगी है, ने उत्तर कोरिया के परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाने की वकालत की. हालांकि, उत्तर कोरिया ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए इसे “असंभव सपना” बताया.
नेता किम जोंग उन ने अमेरिका को लेकर कही थी ये बात
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने हाल ही में कहा कि वे केवल तभी अमेरिका से बातचीत करेंगे जब अमेरिका परमाणु निरस्त्रीकरण की शर्तों को पूरी तरह त्याग देगा. इस बयान ने क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है, लेकिन दक्षिण कोरिया और चीन के बीच यह बैठक इस दिशा में शांति बहाली के लिए नई उम्मीद के रूप में देखी जा रही है.
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