South Africa Gold News : दक्षिण अफ्रीका को सोने का बड़ा खजाना हाथ लगा है, जिसकी कीमत भारतीय करंसी में देखें तो करीब 1999 अरब रुपये बताई जा रही है. दरअसल,एक युवा शोधकर्ता को मास्टर डिग्री के लिए थीसिस तैयारी करनी थी. शोध के दौरान उसने अपने शहर जोहान्सबर्ग में अदृश्य सोने के सैकड़ों टन भंडार की खोज की, जिसकी कीमत 24 अरब डॉलर है.


यूनिवर्सिटी ने उनकी डिग्री को अब पीएचडी में अपग्रेड कर दिया. स्टेलनबाश यूनिवर्सिटी के छात्र स्टीव चिंगवारू ने जोहान्सबर्ग के खदान डंप को शोध का विषय बनाया. ये डंप सोने की खदान से निकले कचरे से बना हुआ है, जो एक टीले के रूप में नजर आता है.


चिंगवार ने बताया कि वह बचपन से इन टीलों को देखते आए हैं. जब यहां तेज हवा चलती थी तो इन टीलों से धूल लोगों के बालों, कपड़ों और गले में लग जाया करती थी. जब बड़े हुए तो उन्हें टेलिंग के बारे में पता चला. टेलिंग उन अपशिष्ट पदार्थों को कहा जाता है जो खनिज निकालने के बाद बच जाते हैं. चिंगवारू ने कहा कि लोग पहले से ही इन टेलिंग से सोना निकाल रहे थे, लेकिन इससे 30 प्रतिशत ही हासिल हो रहा था. चिंगवारू कहते हैं कि मैं जानना चाहता था कि बाकी 70 प्रतिशत कहां है. वे इसे क्यों नहीं निकाल पा रहे थे?


अभी ऐसी कोई सस्ती तकनीक नहीं है
शोध में खदानों के ढेरों से नमूनों की जांच की। पता चला कि अधिकांश सोना पाइराइट नामक खनिज में छिपा था. चिंगवारू ने गणना करके बताया कि इस कचरे के पहाड़ में 420 टन अदृश्य सोना छिपा हुआ है, जिसकी कीमत 24 अरब डॉलर है. उनके शोध से यह तो पता चलता है कि यहां बहुत सारा सोना है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस सोने को निकालने के लिए सस्ती तकनीक नहीं है, जिससे इसे आसानी से निकाला जा सके. जब तक कोई भी कंपनी इसमें निवेश नहीं करेगी, तब तक इससे सोना नहीं निकाला जा सकता. चिंगवारू बताते हैं कि उनकी दक्षिण अफ्रीका में बड़े लोगों से बात हुई है. सभी ने इस बात को माना है कि सोना निकालना महंगा होगा. उन्होंने रुचि दिखाई है और कहा कि इससे मुनाफा कमाया जा सकता है. कुछ कंपनियां निवेश के लिए इच्छुक भी हैं.