बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर बांग्लादेश की मोम्मद यूनुस सरकार पर निशाना साधा. पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में हुए तख्तापलट को लेकर उन्होंने बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि 5 अगस्त को बांग्लादेश बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन से जूझ रहा था और अगर उनका वहां रुकना खतरे से खाली नहीं था.

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'बांग्लादेश में मेरी जान को खतरा था'

शेख हसीना ने अपने ऊपर लगे उन आरोपों का भी खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने की इजाजत दी थी. उन्होंने कहा, "पिछले साल प्रदर्शन के दौरान बांग्लादेश में रुकने से न केवल मेरी जान को खतरा होता, बल्कि मेरे आसपास के लोगों की जान पर बन आती. मैं अभी भी देश में लोकतंत्र बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हूं. एक नेता के रूप में, मैं अंततः नेतृत्व की जिम्मेदारी लेती हूं."

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यूनुस सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

द इंडिपेंडेंट के दिए इंटरव्यू में शेख हसीना ने कहा, "ये कहना पूरी तरह से गलत है कि मैंने पिछले साल सुरक्षा बलों को भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया था. जमीनी स्तर पर सुरक्षा बलों के बीच अनुशासन की कमी के कारण हताहतों की संख्या बढ़ी थी. सरकार ने शुरुआती हत्याओं की एक स्वतंत्र जांच शुरू की थी, जिसे बाद में यूनुस सरकार ने बंद करा दिया."

'मुझे मौत की सजा मिले तो भी डर नहीं'

उन्होंने कहा कि यदि बांग्लादेश का अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) उन्हें मौत की सजा सुनाता है तो उन्हें न तो आश्चर्य होगा और न ही डर लगेगा. उन्होंने कहा, "आईसीटी एक दिखावटी अदालत है जिसकी अध्यक्षता मेरे राजनीतिक विरोधियों वाली एक अनिर्वाचित सरकार करती है. उनमें से कई विरोधी मुझे हटाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं."

पिछले साल बांग्लादेश में नौकरी से कोटा हटाने की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन जल्द ही एक राष्ट्रव्यापी विद्रोह में बदल गया, जिसके कारण शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा था. अंतरिम सरकार के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने शेक हसीना को छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान हुए मौतों के पीछे को मास्टरमाइंड बताया है.

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