मस्जिदों में लाउडस्पीकर की आवाज को प्रतिबंधित करने वाले आदेश का सऊदी अरब प्रशासन ने बचाव किया है. उसने कहा है कि ये मामला अत्यधिक शोर के बारे में शिकायतों से प्रेरित था. इस्लामिक मामलों के मंत्रालय का कहना है कि लाउडस्पीकर की आवाज को 'अधिकतम आवाज के एक तिहाई से ज्यादा' नहीं होना चाहिए.


मस्जिदों में लाउडस्पीकर की आवाज कम रखना सही-सऊदी अरब


आदेश मुख्य रूप से नमाज के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को सीमित करता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल सिर्फ नमाज के लिए बुलाने (अजान) और इकामत (नमाज के लिए दूसरी बार पुकराने) में किया जा सकता है. फैसले का बचाव करते हुए इस्लामिक मामलों के मंत्री अब्दुल लतीफ अल शेख ने सोमवार को कहा कि अत्यधिक शोर से जुड़ी कई शिकायतें मिली थीं. शिकायत में ऊंची आवाज से बच्चों और बुजुर्गों की नींद खराब होने का हवाला दिया गया था.


मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि आदेश को लागू करने में विफल रहनेवालों के खिलाफ जुर्माना लगाया जाएगा. इससे पहले भी 2009 में समान आदेश जारी कर लाउडस्पीकर की आवाज को सीमित करने का मंसूबा बनाया गया था. लेकिन, भारी विरोध को देखते हुए खाड़ी देश में कभी लागू नहीं किया जा सका. शेख ने कहा कि कई टेलीविजन चैनल भी नमाज और कुरआन की तिलावतों का प्रसारण करते हैं, लेकिन लाउडस्पीकर का सीमित उद्देश्य है.


सरकारी आदेश का पालन नहीं करने पर लगाया जाएगा जुर्माना


हजारों मस्जिदों वाले देश में बहुत सारे लोगों ने डेसिबल स्तर को कम करने की पहल का स्वागत किया है. लेकिन, फैसले के खिलाफ कई लोगों ने सोशल मीडिया पर खुलकर नाराजगी जाहिर की. यूजर रेस्टोरेंट और कैफे में तेज आवाज को बैन करने के समर्थन में हैशटैग चला रहे हैं. सरकारी फरमान के बाद सोशल मीडिया पर मस्जिद से आती आवाज को शेयर किया जा रहा है, और पूछा जा रहा है कि कहां शोर है. एक वीडियो में आवाज को सुकून और राहत देनेवाला बताया गया.



सरकारी टीवी पर प्रसारित एक वीडियो में शेख ने आलोचकों को जवाब दिया, "जो लोग नमाज पढ़ना चाहते हैं, उनको इमाम की अपील का इंतजार करने की जरूरत नहीं होती." उन्होंने कहा कि फैसले की आलोचना 'शाही शासन के दुश्मनों' की तरफ से फैलाई जा रही है जो 'जनमत को उकसाना चाहते हैं'. पद संभालने के बाद क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने रूढ़िवादी देश की छवि खत्म कर आधुनिक सऊदी बनाने का बीड़ा उठाया है. सुधारवादी कार्यक्रम के तहत सिनेमा पर लंबे समय से चले आ रहे बैन को हटाया, महिलाओं की आजादी के दायरे में इजाफा किया. प्रिंस का मंसूबा 2030 तक देश की अर्थव्यवस्था में तेल के योगदान को कम कर अन्य माध्यम अपनाना है.