Salma Dam: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पहली बार भारत की इंजीनियरिंग टीम सलमा बांध का निरीक्षण करने पहुंची है. इस डैम को 'अफगानिस्तान-इंडिया फ्रेंडशिप डैम' के नाम से भी जाना जाता है. करीब आठ साल पहले अफगानिस्तान के लोगों के लिए भारत ने हेरात के पास सलमा डैम बनाया था.


द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के इंजनीयरों की टीम अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंच चुकी है. यह टीम आठ साल पहले बने सलमा डैम की जांच करेगी. इस बांध को बनाने में भारत सरकार ने करीब 22 अरब (265 मिलियन डॉलर) की राशि खर्च की थी. इस डैम के बनाने के पीछे का उद्देश्य दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध स्थापित करना था, क्योंकि उस समय अफगानिस्तान में उग्रवाद चरम पर था. इसीलिए इसका आधिकारिक नाम 'अफगानिस्तान-इंडिया फ्रेंडशिप डैम' रखा गया था.


तालिबान के साथ भारत की भागीदारी
साल 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया, ऐसे में भारत सरकार के पास दो विकल्प थे या तो तालिबान के भरोसे डैम को छोड़ दिया जाए या उसकी दोबारा से देखरेख शुरू की जाए. भारत सरकार ने डैम की सुरक्षा का निर्णय लेते हुए भारतीय इंजीनियरों की टीम भेजी है. माना जा रहा है कि इस कदम से दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध स्थापित होंगे और तालिबान के साथ भारत की भागीदारी बढ़ेगी.


डैम पर संचालित हो रही विद्युत परियोजना
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कंपनी वैपकोस की चार सदस्यीय टीम अफगानिस्तान पहुंची है. उत्तर-पश्चिमी अफगानिस्तान के सुदूर हिस्से में हरिरुद नदी पर यह डैम बनाया गया है. सलमा डैम पर जलविद्युत परियोजना भी संचालित की जा रही है. भारतीय इंजीनियरों की टीम तीन दिनों तक इस डैम की देखरेख करेगी. 


बांध पर चमक रहा भारत का तिरंगा
बांध पर आज भी भारत का तिरंगा बना हुआ है और पुराने बोर्ड पर मोटे अक्षरों में 'अफगानिस्तान-इंडिया फ्रेंडशिप डैम' लिखा है. साथ ही डैम के बारे में कुछ और भी जानकारी दी गई है, लेकिन अब धुंधली हो गई है. वहीं बांध पर बने अफगानिस्तान के झंडे को जानबूझकर धुंधला किया गया है, क्योंकि तालिबान सरकार अफगानिस्तान के झंडे को मान्यता नहीं देती है. 


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