S Jaishankar On China: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीमा विवाद को लेकर चीन को कठघरे में खड़ा किया. जयशंकर ने कहा कि चीन को यह कहने का कोई हक नहीं कि भारत सीमा समझौतों का सही से पालन नहीं करता है. विदेश मंत्री ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि चीन ही एलएसी पर सैनिकों को सबसे पहले ले गया था.


ऑस्ट्रिया के सरकारी चैनल से बातचीत में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा सीमा पर तनाव की स्थिति सिर्फ इसलिए है, क्योंकि चीन ने सीमा प्रबंधन को लेकर किए गए समझौतों का पालन नहीं किया. विदेश मंत्री ऑस्ट्रिया के तीन दिवसीय दौरे पर हैं. आज (3 जनवरी) उनकी यात्रा का आखिरी दिन है.


क्या चीन ताइवान में सैन्य कार्रवाई कर सकता है? इस सवाल पर जयशंकर ने कहा हमारे अपने अनुभवों के आधार पर हम कह सकते हैं कि यह गंभीर चिंता की बात है. उन्होंने आगे कहा कि हमने चीन के साथ सीमा पर बड़ी मात्रा में सेना को लगाने को लेकर समझौता किया था और उन्होंने (चीन) इन समझौतों का पालन नहीं किया. यही वजह है कि वर्तमान में हमारे बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है.


सैटेलाइट इमेज का हवाला


इंटरव्यू में जयशंकर से इस बात पर जोर दिया गया कि यही बात चीन भी कह सकता है कि भारत समझौतों का पालन नहीं करता है तो उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया और कहा "चीन के लिए ऐसा कहना मुश्किल है क्योंकि रिकॉर्ड बिल्कुल साफ है."


एस जयशंकर ने पारदर्शिता के लिए सैटेलाइट इमेज का हवाला किया. उन्होंने कहा अगर आप देखिए कि किसने पहले सेना को बॉर्डर एरिया में भेजा, तो मुझे लगता है कि रिकॉर्ड बिल्कुल साफ हैं. तो इसलिए जो आप कह रहे हैं वह कह पाना चीन के लिए बहुत ही मुश्किल है.


चीन ने स्थिति बदलने की कोशिश


विदेश मंत्री ने अपनी बात में आगे जोड़ते हुए कहा मेरा अनुभव कहता है कि लिखित समझौतों का पालन नहीं किया गया. इसके चलते विभिन्न स्तरों का सैन्य तनाव देखा गया, जिसकी हमारे विचार में कोई वजह नहीं थी. हमारे बीच समझौता था कि कोई भी पक्ष एकतरफा स्थिति को बदलने की कोशिश नहीं करेगा. फिर भी चीन ने ऐसा करने की कोशिश की.


यूक्रेन और रूस पर कही ये बात


इस दौरान जयशंकर ने यूक्रेन को लेकर भारत की स्थिति और रूस के साथ भारत के संबंधों का बचाव किया. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत स्पष्ट रूप से चाहता है कि इस कटुता का अंत हो और कूटनीतिक और बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो. उन्होंने कहा कि जहां तक हमारा संबंध हैं, हमारा स्पष्ट रूप से मानना है कि दोनों देशों के लिए बातचीत और कूटनीति ही रास्ता है.


उन्होंने आगे कहा कि भारत इस बारे में बिल्कुल साफ है कि यह लड़ाई रूस समेत किसी के भी हित में नहीं हैं. रूस के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा भारत 'दीर्घकालिक हितों और दुनिया के लिए क्या अच्छा है', के आधार पर विदेश नीति निर्धारित करता है.


पश्चिमी देशों को लिया निशाने पर


रूस के साथ संबंधों को याद करते हुए जयशंकर ने पश्चिमी देशों को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा यहां रूस के साथ भारत के दीर्घकालिक संबंधों के इतिहास पर नजर डालना जरूरी हो जाता है. यह संबंध ऐसे समय में विकसित हुए जब पश्चिमी लोकतंत्र पाकिस्तान नाम की सैन्य तानाशाही को हथियार देकर मजबूत कर रहे थे लेकिन भारत को रक्षात्मक हथियार नहीं मुहैया कराए जा रहे थे.


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