Russia Ukraine War:  रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुए करीब दो महीने हो चुके हैं, इस दौरान रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन ने पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों की धार को कुंद करने के लिए असाधारण कदम उठाए हैं. रूस ने इस मोर्च पर कुछ सांकेतिक जीत मिलने का दावा किया है जबकि पश्चिमी प्रतिबंधों का पूरा प्रभाव बहुत ही वास्तविक तरीके से महसूस किया जाना शुरू हो गया है.


पश्चिमी देशों ने रूस की उसके विदेशी मुद्रा भंडार तक पहुंच को बाधित करने, मुख्य प्रौद्योगिकियों का आयात नियंत्रित करने और अन्य प्रतिबंधात्मक कदम उठाए हैं. वहीं, क्रेमलिन ने रूसी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कुछ बड़े कदम उठाए हैं. उनमें ब्याज दर को बढ़ा कर 20 प्रतिशत तक करना, पूंजी पर नियंत्रण स्थापित करना और रूसी कारोबारों को अपना लाभ रूबल (रूसी मुद्रा) में तब्दील करने के लिए मजबूर करना शामिल हैं.


पुतिन का दावा - प्रतिबंधों का असर नहीं 
परिणामस्वरूप, शुरूआत में कमजोर पड़ने के बाद रूबल का मूल्य (वैल्यू) संभल गया है और पिछले हफ्ते केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर में अपनी वृद्धि को आंशिक रूप से घटा दिया. इससे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का हौसला बढ़ा हुआ नजर आया और उन्होंने यह घोषणा कर दी कि देश पश्चिम के प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार है.


इंडियाना विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक माइकल एलेक्सीव ने कहा, ‘‘(रूसी) सरकार यह जाहिर करना चाह रही है कि स्थिति उतनी बुरी नहीं है, जितनी कि वास्तव में हैं. ’’


रूसी अर्थव्यवस्था से पूंजी का पलायन हो रहा है 
हालांकि, करीब से अवलोकन करने पर यह प्रदर्शित होता है कि प्रतिबंधों के कारण रूसी अर्थव्यवस्था से पूंजी का पलायन हो रहा है. देश दो दशकों में महंगाई के अपने सबसे बुरे दौर का सामना कर रहा है. देश की आर्थिक सांख्यिकी एजेंसी रोस्सतात ने कहा कि पिछले हफ्ते मुद्रास्फीति 17.3 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई, जो 2002 से सर्वधिक स्तर है.


कुछ रूसी कंपनियां बंद होने के लिए मजबूर हो गईं. कई खबरों में कहा गया है कि टैंक बनाने वाली एक कंपनी को पुर्जों के अभाव के चलते अपना उत्पादन रोकना पड़ा. लाडा ऑटो संयंत्र बंद हो गया-यह रूसी कंपनी एवतोवाज का एक ब्रांड है और इसके स्वामित्व का बड़ा हिसा फ्रांसीसी मोटरवाहन निर्माता रेनॉल्ट के पास है. मास्को के मेयर ने कहा है कि शहर में विदेशी कंपनियों के कामकाज ठप होने से करीब दो लाख लोगों की नौकरियां चली गई हैं.


इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस के अर्थशास्त्रियों बेंजामिन हिल्गेनस्टाक और एलिना रिबाकोवा ने पिछले महीने जारी एक रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया कि यदि यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अमेरिका ने रूसी तेल एवं प्राकृतिक गैस पर प्रतिबंध लगा दिया तो रूसी अर्थव्यवस्था 20 प्रतिशत से अधिक सिकुड़ सकती है. वहीं, मौजूदा अनुमान 15 प्रतिशत का है.


वस्तुओं की कीमतें में बढ़ोतरी 
रूसियों ने वस्तुओं की मूल्य वृद्धि होने की बात कही है. मास्को के एक उपनगर के निवासियों ने कहा कि पेयजल का 19 लीटर का जग पहले की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक महंगा हो गया है. इलाके के सुपरमार्केट और दुकानों में, एक किग्रा चीनी का मूल्य 77 प्रतिशत बढ़ गया है, कुछ सब्जियों के दाम 30 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं.


रूस के विभिन्न क्षेत्रों की स्थानीय समाचार साइटों ने हालिया हफ्तों में अपनी खबरों में कहा कि पश्चिमी देशों की कंपनियों और ब्रांड की आपूर्ति रोकने या अपना कारोबार समेटने से मॉल में कई दुकानें बंद हो गई हैं. इन ब्रांड में स्टारबक्स, मैकडोनाल्ड और एप्पल शामिल हैं.


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