यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच अब एक बार फिर दोनों देशों के बीच बातचीत होने जा रही है. यूक्रेन और रूस के डेलीगेशन के बीच बेलारूस बॉर्डर पर ये दूसरे दौर की बातचीत होगी. इससे पहले भी दोनों देशों के बीच बातचीत हुई थी, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया. बल्कि इसके बाद रूस ने अपने हमले और तेज कर दिए थे. 


इस बातचीत को लेकर रूसी विदेश मंत्री ने बताया कि, बेलारूस क्षेत्र में रूसी और यूक्रेनी प्रतिनिधियों के बीच बातचीत जारी है. हमें उम्मीद है कि वो इस हालात को खत्म करेंगे. जिससे सब कुछ ठीक हो सके और यूक्रेन के तमाम लोग अपनी पहले जैसी जिंदगी में वापस लौट पाएं. 


बेनतीजा रही पहले दौर की बातचीत
युद्ध के बीच दोनों देशों में पहले दौर की बातचीत के लिए सहमति बनी थी, जिसके बाद दोनों देश पहली बार टेबल पर नजर आए. इस बैठक में रूस ने कई शर्तें यूक्रेन के सामने रखी थीं. लेकिन यूक्रेन ने साफ किया कि पहले रूस को अपनी सेना वापस बुलानी होगी और तुरंत हमलों को रोकना होगा. लेकिन बिना किसी समझौते के रूस ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हुआ. इसीलिए पहले दौर की बातचीत बेनतीजा साबित हुई. 


पहले दौर की बातचीत खत्म होने के बाद रूस की तरफ से बमबारी तेज हो गई. इस बातचीत के बाद यूक्रेन के खारकीव शहर को बुरी तरह टारगेट किया गया और रातभर बम बरसाए गए. इस बमबारी में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, जिसमें एक भारतीय छात्र भी शामिल है. 


बातचीत के बीच रूस के तेवर सख्त 
अब दूसरे दौर की बातचीत में रूस एक बार फिर यूक्रेन पर अपनी शर्तों को मानने का दबाव बनाएगा, वहीं यूक्रेन की कोशिश रहेगी कि किसी भी हाल में सीजफायर हो. हालांकि भले ही बातचीत का टेबल सजा हो, लेकिन रूस के तेवर काफी सख्त हैं. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इससे पहले कहा था कि, मॉस्को यूक्रेन में लड़ाई खत्म करने के लिए बातचीत को तैयार है, लेकिन यूक्रेन के सैन्य ढांचे को नष्ट करने के अपने प्रयास जारी रखेगा.  लावरोव ने कहा कि रूसी प्रतिनिधिमंडल ने इस हफ्ते की शुरुआत में यूक्रेन के वार्ताकारों को अपनी मांगें सौंपीं और अब गुरुवार को होने वाली वार्ता में कीव की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा है. 


उन्होंने कहा कि पश्चिम ने यूक्रेन को लगातार हथियारों से लैस किया है और उसके सैनिकों को प्रशिक्षित किया है तथा यूक्रेन को रूस के खिलाफ एक ढाल में तब्दील करने के लिए वहां ठिकाने बनाए हैं. रूस का कहना है कि इससे उसकी सुरक्षा के लिए यूक्रेन एक खतरा बन गया है जिसके चलते मॉस्को को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा. 


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