मॉस्कोः कोरोना वायरस की सबसे पहली वैक्सीन बनाने का दावा करने वाले रूस को अब इस वैक्सीन की पहली खेप हासिल हो चुकी है. 11 अगस्त को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन लॉन्च की थी. हालांकि, इस वैक्सीन के असर को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. इसके बावजूद रूस ने इसका निर्माण शुरू कर दिया है और अब उसे पहली खेप मिल चुकी है.


सिर्फ 2 चरणों के ट्रायल के बाद उत्पादन शुरू


एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की न्यूज एजेंसी इंटरफैक्स ने रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया है कि हाल ही में देश में इसका उत्पादन शुरू हुआ और अब पहला बैच सरकार को मिल चुका है.


राजधानी मॉस्को में स्थित गमालेया इंस्टीट्यूट (Gamaleya Institute) ने इस वैक्सीन को विकसित किया था. हालांकि इस वैक्सीन का अभी तक सिर्फ 2 चरणों का ही ट्रायल किया गया और तीसरे चरण से पहले ही रूस ने इसकी सफलता का एलान कर दिया.


यही कारण है कि विशेषज्ञ इस वैक्सीन के सुरक्षित और असरकारी होने पर सवाल उठा रहे हैं और संदेह की नजर से देख रहे हैं. किसी भी वैक्सीन को इजाजत मिलने से पहले तीसरे चरण का ट्रायल बेहद अहम माना जाता है क्योंकि इसमें भारी संख्या में लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण किया जाता है.


दिसंबर तक हर महीने 50 लाख वैक्सीन उत्पादन की क्षमता


हालांकि, रूस के राष्ट्रपति ने सभी आशंकाओं का खारिज कर दिया और कहा कि उनकी बेटी ने ही इसकी खुराक ली है और इसका अच्छा असर उस पर दिखा. यही कारण है कि रूस ने इस वैक्सीन के विस्तृत उत्पादन की शुरुआत कर दी थी.


गमालेया इंस्टीट्यूट के मुताबिक वह दिसंबर और जनवरी तक हर महीने 50 लाख वैक्सीन उत्पादन की क्षमता हासिल कर लेंगे. रूस ने साथ ही दावा भी किया है कि उन्हें दुनिया के कई देशों से वैक्सीन के लिए ऑर्डर मिल चुके हैं.


रूस ने इस वैक्सीन को ‘स्पुतनिक V’ नाम दिया है, जो सोवियत संघ द्वारा 1957 में छोड़े गए दुनिया के पहले मानव निर्मित उपग्रह का नाम था.


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