Israel-Hamas War: इजरायल-हमास के बीच जंग में मेलशिया ने हमास का साथ देने का प्रतिबद्धता जाहिर की है. मेलशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने हमास के साथ संबंध बनाए रखने की ठान ली है. हालांकि इस वजह से उनकी सरकार पर विदेशी दवाब बढ़ने लगा है. 


अनवर इब्राहिम ने इजरायल की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने गाजा में इजरायली सैन्य अभियानों को "बर्बरता की पराकाष्ठा" कहा है. हालांकि ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया है गया है कि अनवर इब्राहिम के इजरायल के प्रति निंदक रुख ने देश में घरेलू स्तर पर फायदा पहुंचाया है. लेकिन मेलिशिया के लिए एक नुकसान ये भी है कि उसने अपने तीसरे सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार अमेरिका को नाराज कर दिया है.


मलेशिया में इजरायल का विरोध


मलेशियाई प्रधानमंत्री ने पिछले महीने संसद में कहा था कि गाजा के नागरिक छह दशकों से दुनिया की सबसे बड़ी 'खुली जेल' में रह हैं. अनवर इब्राहिम ने कहा कि दक्षिणपूर्व एशियाई देश हमास को गाजा का वैध शासक मानते हैं, हालांकि 2006 के बाद से इस इलाके में कोई भी चुनाव नहीं हुए हैं. ये विरोध सिर्फ मलेशिया की संसद तक ही नहीं बल्कि सड़कों पर भी देखे जा सकता है. नागरिकों ने इजरायली फास्ट-फूड का बहिष्कार किया है. 


अनवर इब्राहिम ने इजरायल पर मलेशिया के रूख के बाद अमेरिका के साथ उसके संबंधों में आई खटास को लेकर भी देश के लोगों का ध्यान खींचा है. उन्होंने कहा कि इजरायल की ओर से गाजा में किए जा रहे हमले के बाद मलेशिया के रूख को लेकर अमेरिका खफा है. 


मलेशिया के पड़ोसी देशों का क्या कहना है?


इंडोनेशिया के अलावा सिंगापुर ने फिलिस्तीनी संघर्ष के बीच दो राष्ट्र समाधान का समर्थन किया है. यानी क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए फिलिस्तीनियों को एक देश की मान्यता दी जाए और उसके क्षेत्रीय मुद्दों को सुलाझाने पर जोर हो. वहीं थाईलैंड ने इस मुद्दे पर तटस्थता का रूख अपनाया है और शांति स्थापित करने की वकालत की है. इसके अलावा फिलींपीस ने हमास की निंदा की है और इजरायल के 'रक्षा के अधिकार' को जायज बताया है.


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