israel palestine protes : फिलिस्तीन के समर्थन में अमेरिका की कई यूनिवसिर्टियों में हंगामा चल रहा है. अब न्यू जर्सी के रटगर्स विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी गाजा युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने प्रशासन को 10 मांगों की एक सूची सौंपी. इनमें से एक डिमांड में कश्मीरियों को 'कब्जे वाले लोग' कहा गया. इसको लेकर शुक्रवार को इतिहासकार और लेखक ऑड्रे ट्रुश्के ने एक्स पर लिखा, रटगर्स विश्वविद्यालय के छात्रों की 9वीं मांग में 'कब्जे वाले लोगों' का प्रतिनिधित्व करने वाले झंडे लगाने को कहा गया. ट्रुश्के भी रटगर्स विश्वविद्यालय में इतिहास की असोसिएट प्रोफेसर हैं. उन्होंने छात्रों की सभी 10 मांगों को अपने एक्स हैंडल पर शेयर किया. उन्होंने लिखा, प्रशासन छात्रों की 10 में से 8 मांगें मानने पर विचार कर रहा है. फिलिस्तीन समर्थक छात्रों ने 9वीं मांग में कहा गया, कब्जे वाले लोगों के कैंपस में झंडे डिस्पले किए जाएं. ये झंडे केवल फिलिस्तीनी, कुर्द और कश्मीरियों तक सीमित नहीं हैं. 


इजरायल से व्यापार खत्म करने की मांग
ट्रुश्के ने कहा, इस मसले पर चांसलर ऑफिस ने भी रेस्पॉन्स दिया है. वह परिसर में झंडों का जायजा लेगा. उसके बाद ही उचित डिसीजन लेगा. एक प्रदर्शनकारी छात्र ने सीबीएस न्यूज़ को बताया कि उन्होंने 10 मांगों में से 8 को स्वीकार कर लिया, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मांग को स्वीकार नहीं किया. वो मांग है विनिवेश की. दरअसल, फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में रटगर्स विश्वविद्यालय में यह हंगामा सोमवार से शुरू हुआ था. प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि रटगर्स तेल अवीव विश्वविद्यालय के साथ अपने संबंध समाप्त कर ले और इज़राइल के साथ व्यापार करने वाली कंपनियों से अलग हो जाए. विश्वविद्यालय ने छात्रों के अनुरोधों की समीक्षा की घोषणा की. बताया गया कि गुरुवार सुबह कैंपस में एक रैली हुई थी, जिसके बाद प्रशासन को परीक्षा स्थगित करने पड़ी. यूनिवसिर्टी प्रशासन ने कहा कि 28 परीक्षाएं बाधित हुईं, जिससे 1,000 से अधिक स्टूडेंट प्रभावित हुए. अब इन परीक्षाओं को फिर से रिशेड्यूल किया जाएगा.


सही संतुलन की जरूरत : विदेश मंत्रालय 
अमेरिकी विश्वविद्यालयों में हंगामे को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, प्रत्येक लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन जिम्मेदारी की भावना और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन होना चाहिए. जयसवाल ने आगे कहा कि किसी भी भारतीय छात्र या उनके परिवार ने अब तक किसी भी मदद के लिए मंत्रालय से संपर्क नहीं किया है. हम उम्मीद करते हैं कि देश और विदेश में हमारे सभी नागरिक स्थानीय कानूनों का सम्मान करेंगे.