Pakistani PM Imran Khan's News: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के पास कुर्सी पर बने रहने के लायक नंबर नहीं हैं, लेकिन इमरान इस्तीफा नहीं देने पर अड़े हुए हैं. पाकिस्तान की जनता को संबोधित करते हुए इमरान खान ने आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा का भी जिक्र किया, लेकिन इमरान खान के रन आउट की इनसाइड स्टोरी कुछ और ही है. कहा जा रहा है कि इमरान खान को सत्ता से बाहर भेजने की स्क्रिप्ट किसी और ने नहीं बल्कि उनके करीबी बाजवा ने ही लिखी है. पढ़ें ये रिपोर्ट.


पाकिस्तान में हर दिन लगता है कि सियासी बवंडर किसी अंजाम तक पहुंचने वाला है, लेकिन ढलता हुआ दिन एक नई कहानी छोड़ जाता है. पाकिस्तान की राजनीतिक पिक्चर कुछ ऐसी है कि एक तरफ अकेले इमरान खान खड़े हैं और दूसरी तरफ पूरा विपक्ष उनके खिलाफ एकजुट हो चुका है. कहा जा रहा है कि पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है, उसकी पूरी कमान कमर जावेद बाजवा के हाथों में है. 61 साल के कमर जावेद बाजवा पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली लोगों में गिने जाते हैं.


हर दिन घटता जा रहा समर्थन का आंकड़ा


इमरान खान की कुर्सी पर संकट मंडरा रहा है, क्योंकि उनकी पार्टी से लेकर सहयोगी दल तक उनका साथ छोड़ चुके हैं. सदन में उन्हें 172 सदस्यों के समर्थन को साबित करना है, लेकिन आंकड़ा हर दिन घटता जा रहा है और इस स्थिति से निपटने के लिए इमरान खान ने लेटर बम फोड़ने का फैसला किया. इमरान ने इस लेटर के जरिए दावा किया कि उनके खिलाफ इंटरनेशनल साजिश रची गई है. दावे के मुताबिक, सीक्रेट लेटर में अमेरिकी साजिश का जिक्र था. इतना ही नहीं इमरान खान ने एलान किया कि बुधवार को देश के नाम संबोधन में वो पाकिस्तान को ये बताएंगे कि चिट्ठी में लिखा क्या है. जैसे ही इमरान खान के संबोधन की खबर आई उसके कुछ ही देर बाद पाकिस्तान सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा इमरान से मिलने पहुंच गए. पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और बाजवा के बीच तीन घंटे तक बैठक चली और चलती बैठक में ही तय हो गया था कि इमरान खान संबोधन करने नहीं आएंगे.


रिपोर्ट्स के मुताबिक, जनरल बाजवा ने इमरान के घर पहुंचकर उन्हें आगाह किया कि आप ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट में फंस जाएंगे और आपको जेल तक हो सकती है और इसी के बाद इमरान खान ने देश को संबोधन का फैसला रद्द किया था. अमेरिका ने इमरान खान के सीक्रेट लेटर के दावे को झूठा करार दिया है. वहीं इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने भी चिट्ठी को सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी है.


अमेरिका का नाम आने से सेना नाराज़!


अमेरिका का नाम आने से वो नाराज है. दरअसल अमेरिका पाकिस्तान का सबसे बड़ा कारोबारी और सैन्य सहायता देने वाला देश है. मुल्क के लिए आर्थिक मदद चाहिए हो या फिर एफएटीएफ के फंदे से निकलना हो पाकिस्तान अमेरिका का मुंह ही ताकता है. ऐसे में पाकिस्तान की सेना कभी ये बर्दाश्त नहीं करेगी कि इमरान खान अमेरिका के खिलाफ आग उगले.


दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में बिना सेना की मर्जी के परिंदा भी पर नहीं मार सकता तो भला इमरान खान अमेरिका के खिलाफ मोर्चा खोलने की हिम्मत कैसे कर सकते हैं और इमरान के सियासी संकट के पीछे उनका सेना के खिलाफ जाना ही है. एक के बाद एक इमरान के फैसलों ने ही सेना पर उनके विश्वास को अविश्वास में बदल दिया. इमरान और सेना के बीच रार की सबसे पहली नजीर पिछले साल अक्टूबर में सामने आई थी, जब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई चीफ के ट्रांसफर को लेकर दोनों के बीच तनातनी हो गई थी. ये विवाद लंबा खिंचा और इसके बाद तो इसी साल जनवरी में इमरान खान ने सेना पर विपक्ष से डील करने का आरोप लगा दिया.


इमरान विपक्ष की खेमेबंदी पर सेना के हाथ होने की दिशा में आगे बढ़ते रहे और 10 मार्च को पाकिस्तानी सेना ने बाकायदा बयान देकर कहा कि वो न्यूट्रल हैं यानि किसी के साथ नहीं हैं. सेना के इस बयान से इमरान इस कदर नाराज हुए कि तुलना जानवर से कर बैठे. शायद इमरान खान ये भूल गए कि वो उस पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं, जिसकी सेना के बारे में एक कहावत बेहद मशहूर है. कहा जाता है कि किसी भी देश के पास एक सेना होती है लेकिन पाकिस्तानी सेना के पास पूरा देश है.


पाकिस्तान में सेना का राजनीतिक दखल



  • पाकिस्तान में प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक सबका चुनाव आर्मी ही करती है.

  • इमरान भी सेना का आशीर्वाद से कुर्सी पर बैठे थे.

  • इमरान के उत्तराधिकारी को फौज की ही नीति माननी होंगी.

  • पाकिस्तान की आर्मी इस बात पर मुहर लगाएगी कि इमरान का उत्तराधिकारी कौन होगा.


पूरा विपक्ष लामबंद हैं और पूर्व पीएम नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज ने शाहबाज शरीफ का नाम बतौर पीएम आगे कर दिया है. माना जा रहा है कि सेना शाहबाज शरीफ के नाम पर हरी झंडी दे चुकी है.


पाकिस्तानी सेना की देश में ताकत जानिए


दरअसल पाकिस्तान में सेना का रसूख सिर्फ राजनीतिक पकड़ की वजह से नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के बिजनेस पर भी वहां की फौज हावी है. पाकिस्तानी आर्मी देश के दूसरे सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप को चलाती है, जिसका नाम है फौजी फाउंडेशन. फौजी फाउंडेशन का कारोबार खाने से लेकर बिजली तक फैला हुआ है.



  • पाकिस्तान की सत्ता में 70 साल से भी ज्यादा वक्त से दखल रखने वाली सेना 50 से ज्यादा बड़े बिजनेस चलाती है.

  • पाकिस्तान की संसद में रखे गए आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक, आर्मी का कुल बिजनेस करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है.

  • क्रेडिट सुईस की अक्टूबर 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, पाक आर्मी के 25 पूर्व अफसरों के स्विस बैंक में अकाउंट हें। इसमें करीब 80 हजार करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति जमा है.

  • इस लिस्ट में ISI के चीफ रह चुके जनरल अख्तर अब्दुल रहमान खान के अकाउंट में 15 हजार करोड़ रुपए जमा हैं.


पाकिस्तान के लाहौर, मुल्तान, इस्लामाबाद, कराची, रावलपिंडी से लेकर पेशावर तक जैसे 8 बड़े बड़े शहरों में करीब 2 लाख करोड़ की जमीन है. आलम ये है कि कैंट एरिया से अलग शहर के पॉश इलाकों में भी सेना ही जमीन आवंटित करती है. जिस मुल्क में सेना इतनी ताकतवर हो जो देश के नेता भी चुनती हो और बिजनेस भी चलाती हो उससे भिड़कर भला इमरान कैसे बच सकते थे. रही सही कसर इमरान ने उस वक्त पूरी कर दी जब दो मौकों पर उन्होंने भारत की तारीफ की. पहली भारतीय विदेश नीति के मुरीद बने और फिर भारतीय सेना की तारीफ करते हुए कहा कि वो अपनी सरकार के काम में दखल नहीं देती. ताजा हालात में चर्चा यहां तक होने लगी है कि क्या सेना एक फिर पाकिस्तान की कमान अपने हाथ में सकती है.


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