Pakistani Rupees Value in Dollar: पाकिस्तान में आर्थिक बदहाली जारी है. पड़ोसी मुल्क़ दुनियाभर के सामने पैसे मांगने पर मजबूर है. पाकिस्तान की हालत में थोड़ा भी सुधार नहीं हुआ है. बल्कि परेशानी और बढ़ती जा रही है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 8 साल के निचले स्तर पर है और यह आंकड़ा 5.6 अरब डॉलर तक सिमट गया है. इसके अलावा पाकिस्तान की करेंसी में भी भारी गिरावट का दौर जारी है. पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले 227.8 रुपये के लेवल पर पहुंच गया है.


आपको बता दें कि पाकिस्तानी रुपये में लगातार गिरावट जारी है. डॉलर के मुकाबले यह लगातार गिर रही है. बीते तीन महीनों की ही बात करें तो पाकिस्तानी रुपये की कीमत में डॉलर के मुकाबले 10 रुपये की गिरावट दर्ज की गई है. 


इस वक्त पाकिस्तान में चिकन से लेकर दूध तक और आटे से लेकर प्याज तक सभी के दाम आसमान छू रहे है. महंगाई की मार इस देश को चारो तरफ से घेर रही है. बढ़ते कर्ज, घटते विदेशी मुद्रा भंडार, राजनीतिक अस्थिरता और जीडीपी में भारी गिरावट से जूझ रहे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है.


क्यों हुई पाकिस्तान की ऐसी हालत?


-पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इस स्तर पर जाने के कई कारण है. इन कारणों में विदेशी मुद्रा की भारी कमी होना भी बड़ी कारण माना जा रहा है. पाकिस्तान के मुद्रा भंडार में 6.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई है. इस बीच, चीन ने भी पाकिस्तान में अपना निवेश कम कर दिया है, जिससे सहयोग भी कम हुआ है. देश की राजनीति भी लड़खड़ा रही है, जिसका असर देश की इकॉनोमी पर पड़ा है.

-पाकिस्तान में बिजली की कमी से लोग परेशान हैं. यहां की सरकार बिजली बचाने को लेकर कई कदम उठा रही है. जिसमें से एक बाजारों को रात 8.30 बजे तक बंद करने का आदेश दे दिया है. वहीं मैरिज हॉल और मॉल्स को बंद करने की ये समय सीमा 10 बजे तक सीमित की गई है. इसके अलावा इलेक्ट्रिक पंखों और बल्बों को प्रोडक्शन जुलाई 2023 तक बंद कर दिया गया है.

-इस देश में रोजगार की कमी ने गरीबी को काफी बढ़ा दिया है. पिछले साल के मुकाबले साल 2022 में गरीबी दर में 35.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. दुनिया के सबसे गरीब देशों की लिस्ट में पाकिस्तान 116 देशों में 92 स्थान पहुंच गया.


-पाकिस्तान में कर्मचारियों को सही समय पर वेतन भी नहीं मिल पा रहे हैं. सबसे ज्यादा खराब हालत रेलवे सेक्टर की है. रेलवे रिटायर हुए कर्मचारियों को ग्रेच्युटी नहीं दे पाया है, जो करीब 25 अरब रुपये हैं. इतना ही नहीं सैलरी देने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं हैं. इन कर्मचारियों का वेतन और पेंशन भी समय से नहीं मिल पा रहा है. खाद्य मुद्रास्फीति साल-दर-साल 35.5 प्रतिशत बढ़ी है जबकि पाकिस्तान में दिसंबर में परिवहन की कीमतें 41.2 फीसदी बढ़ चुकी है.