Pakistan Navy Deal: पाकिस्तान समुद्र में ताकत बढ़ाने को लेकर तेजी से काम कर रहा है. इसी क्रम में कराची शिपबिल्डिंग वर्क्स ने अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक बड़ी डील की है. इस डील के जरिए पाकिस्तान की नौसेना के लिए युद्धपोत, पनडुब्बी और अन्य समुद्री पोतों का निर्माण किया जाएगा. पाकिस्तान यह काम भारत के सबसे बड़े नौसैनिक अड्डे के करीब करने वाला है. पाकिस्तान 50 युद्धपोतों को संचालित करने की क्षमता को विकसित करना चाहता है, जिसके बाद पाकिस्तान भी एशिया के सबसे बड़े नौसैनिक बेड़े में से एक बन जाएगा.

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भारत की तरफ से किए जा रहे नौसैनिक निर्माण को पाकिस्तान सीधे तौर पर अपने लिए खतरा मानता है, क्योंकि इससे भारत समुद्र में मजबूत होता है. ऐसे में यदि पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ तो भारत समुद्र में पाकिस्तान को मात दे सकता है. पाकिस्तान का रक्षा उद्योग अभी भी दूसरे देशों पर निर्भर है. पाकिस्तान के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र जैसे- डीजल इंजन, सेमीकंडक्टर, गैस टर्बाइन, कंपोजिट विनिर्माण और हाई क्वालिटी स्टील के लिए दूसरे देशों की तरफ देखते हैं. इसी वजह से पाकिस्तान भी अब भारत की तरह स्वदेशी निर्माण पर जोर दे रहा है. हालांकि, पाकिस्तान के लिए यह करना आसान नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान की ऐसी स्ट्रैटेजिक इकाइयों पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाकर रखा है. 

अमेरिका ने पाकिस्तानी कंपनियों पर लगाया है बैनपाकिस्तान की ब्लैक लिस्टेड कंपनियों के साथ काम करने पर अन्य कंपनियों को भी अमेरिका ब्लैक लिस्टेड कर सकता है, इस डर से विदेशी कंपनियां पाकिस्तान के साथ काम नहीं करना चाहेंगी. फिलहाल, कराची शिपयार्ड एंड इंजीनियरिंग वर्क्स (KSEW) बड़े और बेहतर युद्धपोत बनाने की क्षमता विकसित करने के साथ आगे बढ़ रहा है. पाकिस्तान युद्धपोतों का निर्माण आईएनएस कदंब के करीब करने वाला है. आईएएनस कदंब दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है और अभी भी पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों की स्ट्राइक रेंज से बाहर है. 

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चीन से पनडुब्बी खरीद रहा पाकिस्तानदरअसल, पाकिस्तान ने साल 2015 में एक बड़ी नौसेना के लिए काम करना शुरू किया था. इसी क्रम में पाकिस्तान ने साल 2015 में चीन से आज S26 एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन पनडुब्बी लेने के लिए डील की थी. इसके तहत चार पनडुब्बियों का निर्माण पाकिस्तान में किया जाएगा, बाकी चार पनडुब्बियों का निर्माण चीन शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन चीन में करेगा. समझौते के तहत साल 2023 तक चीन चार पनडुब्बियां देनी थी, वहीं साल 2028 तक सभी पनडुब्बियों को देना है. फिलहाल, जर्मन की तरफ से इंजन निर्यात में देरी की वजह से इस योजना में देरी हुई. अप्रैल 2024 में चीन ने वुहान में पहली पनडु्ब्बी को लॉन्च किया. 

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