इस्लामाबाद: मीडिया में छंटनी, वेतन भुगतान, अनचाहे सेंसरशिप और मीडिया के खिलाफ राजद्रोह के मामलों के खिलाफ 'पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स' (पीएफयूजे) ने नौ अक्टूबर को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन की मांग की है. देश के दिग्गज अंग्रेजी अख़बार द डॉन के मुताबिक, पीएफयूजे ने एबटाबाद प्रेस क्लब में आयोजित संघीय कार्यकारी परिषद (एफईसी) की बैठक के दौरान शनिवार को यह निर्णय लिया.

एफईसी बैठक में देश भर से पत्रकारों के प्रतिनिधियों ने न केवल मीडिया कर्मियों के आर्थिक अधिकारों के लिए, बल्कि संविधान द्वारा दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए भी एक लंबा संघर्ष शुरू करने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की है.

एफईसी ने एक बयान में कहा, "राज्य संस्थान अपने विज्ञापनों को कम करने, समाचार पत्रों के वितरण में बाधा डालने और उन टेलीविजन चैनलों को बंद करने के माध्यम से मीडिया को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं, जो उनके कहे अनुसार नहीं चलते हैं."

बयान में कहा गया है कि हुकूमत चलाने वाले ये लोग श्रमजीवी पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह के मामलों को शुरू करने या आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की धमकी देकर परेशान करने की कोशिश कर रहे हैं.

पीएफयूजे ने ऐसे लोगों के खिलाफ संघर्ष शुरू करने और उन्हें और उनकी साजिशों का पदार्फाश करने का फैसला किया है और एक संयुक्त कार्यसमिति बनाने का फैसला किया है.

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