चीन की तरफ से पाकिस्तान को Z-10ME-02 हेलीकॉप्टर की डिलीवरी आधिकारिक तौर पर 2 अगस्त को कर दी गई. मुल्तान आर्मी एविएशन बेस पर आयोजित समारोह में इन हेलीकॉप्टरों को पाकिस्तान आर्मी एविएशन कॉर्प्स (PAA) में शामिल किया गया. इस मौके पर पाकिस्तान के फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर ने खुद इसकी अध्यक्षता की और इन हेलीकॉप्टरों का लाइव प्रदर्शन देखा.

चीन से नए हेलीकॉप्टर मिलने के बाद पाकिस्तान ने अपने दशकों पुराने बेल AH-1F/S कोबरा हेलीकॉप्टरों को रिटायर कर दिया है और अब तकनीकी रूप से उन्नत चीनी अटैक हेलीकॉप्टरों को अपनाने का रास्ता चुना है. हालांकि, यह फैसला तकनीकी प्रदर्शन की जगह राजनीतिक दबाव के तहत लिया गया लगता है क्योंकि पहले Z-10 का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा था और पाकिस्तान के अधिकारियों ने टेस्टिंग के लिए आए इन हेलीकॉप्टरों को वापस भेज दिया था. 

Z-10ME-02 की क्या हैं विशेषताएं?  

Z-10ME-02 एक डबल इंजन अटैक हेलीकॉप्टर है जिसे चीन की चांगहे एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन (CAIC) ने तैयार किया है. इसका वजन 7.2 टन है और यह 1500 किलोग्राम तक पेलोड उठा सकता है. लंबाई 14.2 मीटर है और इसे विभिन्न प्रकार की मिसाइलों और रॉकेट से लैस किया जा सकता है. इसमें एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, लेजर-गाइडेड रॉकेट, एयर-टू-एयर मिसाइल, मिनिएचर क्रूज मिसाइल (CM-501X) और NLoS (नॉन लाइन ऑफ साइट) क्षमता है.

इस हेलीकॉप्टर में एडवांस इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है जैसे, इंजन इनटेक फिल्टरेशन सिस्टम, सिरेमिक आर्मर प्लेटिंग, एडवांस डिफेंसिव एड सूट और मिसाइल अलर्ट और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग सिस्टम मौजूद है. इसका मकसद दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम से खुद को सुरक्षित रखते हुए सटीक स्ट्राइक करना है.

PAK ने पहले खारिज किया Z-10 और अब क्यों अपनाया? 

2021 में जब चीन ने तीन Z-10 पाकिस्तान को परीक्षण के लिए दिए थे, तब प्रदर्शन के अभाव में उन्हें अस्वीकार कर दिया गया था, लेकिन अब उन्हीं हेलीकॉप्टर्स को एक अपग्रेडेड वर्जन के रूप में स्वीकार कर लेना यह दर्शाता है कि पाकिस्तान अमेरिका और तुर्की के विकल्पों के विफल होने के बाद मजबूरी में इस विकल्प की ओर गया. अमेरिका से AH-1Z Viper और तुर्की से T129B ATAK के सौदे अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से नहीं हो पाए, जिससे पाकिस्तान को चीन की ओर देखना पड़ा.

भारत के पास स्वदेशी LCH प्रचंड और अपाचे AH-64E 

भारत पहले से ही दो प्रमुख अटैक हेलीकॉप्टरों के साथ तैयार है. LCH प्रचंड (स्वदेशी), जो ऊंचाई वाले इलाकों में ऑपरेशन के लिए डिज़ाइन किया गया है. ये हल्का और ज्यादा maneuverable है. इसे कारगिल जैसे इलाकों में तैनात किया जा सकता है. दूसरा है अमेरिकी अपाचे AH-64E गार्जियन. ये दुनिया का सबसे एडवांस अटैक हेलीकॉप्टर में से एक है. ये 10.4 टन वजन है और 2500 किलोग्राम पेलोड क्षमता रखता है. ये हेलफायर मिसाइल, 30mm चेन गन, लॉन्गबो रडार से लैस है. तकनीकी और विश्वसनीयता के मामले में Z-10ME-02, अपाचे के मुकाबले पीछे है. खासकर सेंसर, रेंज, पेलोड और प्रूवन ट्रैक रिकॉर्ड के नजरिए से.

क्या इससे बदल जाएगा पावर बैलेंस? 

Z-10ME-02 की तैनाती पाकिस्तान की सेना की मारक क्षमता को जरूर बढ़ाती है, लेकिन यह भारत के अपाचे और LCH प्रचंड जैसे प्लेटफॉर्म्स के समकक्ष नहीं ठहरता. भारत के पास पहले से ही अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में परीक्षण किए गए और सफल ऑपरेशन में इस्तेमाल किए गए अटैक हेलीकॉप्टर्स हैं. इसके अलावा भारत के हेलीकॉप्टर टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है, जिससे उसे दीर्घकालिक सामरिक लाभ मिलेगा.

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