Pakistan Election Result 2024: पाकिस्तान में चुनाव के नतीजे अपने आखिरी पड़ाव पर हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी कुछ घंटों में प्रत्येक सीटों के परिणाम सामने आ जाएंगे. लेटेस्ट जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थित उम्मीदवार चुनाव परिणामों में सबसे आगे चल रहे हैं. उन्होंने सर्वाधिक 95 सीटों पर कब्जा जमाया है. उसके बाद पीएमएल-एन के खाते में 64 और पीपीपी के खाते में 51 सीटें आई हैं. वहीं अन्य पार्टियों को 23 सीटों पर सफलता मिली है. 


हालांकि, काउंटिंग में दूसरे स्थान पर चल रह पीएमएल-एन ने अपने सरकार बनाने की घोषणा की कर दी है. पार्टी के सुप्रीमो नवाज शरीफ ने अपने पहले विजय भाषण में गठबंधन सरकार बनाने की इच्छा व्यक्त की है. वहीं पीटीआई समर्थक विजेताओं की स्थिति अभी अस्पष्ट है.


आम चुनाव में जरूर पीटीआई समर्थकों को सफलता मिल रही है, लेकिन पार्टी सत्ता में नहीं आ सकती है. इसकी वजह उसे अल्पसंख्यक सीटों का कोटा आवंटित नहीं किया जाएगा. ऐसे में पीटीआई के पास क्या विकल्प हैं? इससे संबंधित कुछ प्रश्न पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपने विशेषज्ञों के सामने रखे. जिसके बेहतरीन जवाब आए हैं.


क्या पहले कभी इतने निर्दलीय उम्मीदवार संसद के लिए चुने गए हैं?


आम चुनाव में इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या बहुत है. पीटीआई से अलग होने के बाद ये लोग अपने बल पर मैदान में थे और जीत हासिल करने में कामयाब भी रहे. पत्रकार वुसअतुल्लाह खान के अनुसार जनरल जियाउल हक के समय पूरी संसद निर्दलीयों से बनी थी. खान ने बताया 1985 में गैर पार्टी आधारित चुनाव हुए थे. किसी भी दल को चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं थी. ऐसे में सभी उम्मीदवार अपने भरोसे पर चुनाव लड़े थे.


उन्होंने आगे बताया जाहिर तौर पर इन नेताओं को किसी न किसी पार्टी का समर्थन प्राप्त था, लेकिन कागज पर वे निर्दलीय उम्मीदवार थे. बाद में उन्होंने संसद में अपना एक समूह बनाया जिसका नाम पीएमएल-क्यू रखा गया. इसे चट्ठा लीग भी कहा जाता था. बाद में यही समूह पीएमएल-एन बन गया.


पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार पर्याप्त सीटें जीतते हैं, लेकिन नेशनल असेंबली में आने से इनकार कर देते हैं तो क्या होगा?


वुसअतुल्लाह खान ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा यह पार्टी के लिए अच्छा नहीं होगा. उन्होंने पहले भी ऐसा किया है और आपने देखा है कि उनके साथ क्या हुआ. मुझे नहीं लगता कि वे पिछली बार मिली हार के बाद कोई साहसिक प्रयास करेंगे. उम्मीद है वे एक समूह बनाने की कोशिश करेंगे और इसे इंसाफ समूह या कोई अन्य नाम दे सकते हैं. 


क्या पीटीआई समर्थक अपने बीच से किसी को पीएम चुन सकते हैं?


पत्रकार शाहजेब जिलानी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि सभी उम्मीदवारों के जीत की घोषणा के बाद तीन दिन का समय दिया जाता है. इस दौरान उन्हें मौका दिया जाता है कि वे स्वतंत्र रूप से किसी राजनीतिक दल का समर्थन करना चाहते हैं या एक समूह के रूप में किसी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं. 


अगर पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार संसद में सबसे बड़े समूह के रूप में उभरना चाहते हैं तो उन्हें मौजूदा राजनीतिक दल में शामिल होना होगा. मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन (एमडब्ल्यूएम) जो एक पंजीकृत पार्टी है पीटीआई के साथ स्थानीय सरकार के लिए गठबंधन कर चुकी है. 


निर्दलीय उम्मीदवार अगर मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन में शामिल होते हैं तो उन्हें आरक्षित सीटें भी मिलेंगी और उनकी संख्या बढ़ जाएगी और वे सदन के नेता के दावेदार हो सकते हैं.


पीटीआई समर्थित उम्मीदवार अपने बीच से विपक्ष का नेता चुन सकते हैं?


जिलानी ने सवाल का जवाब देते हुए कहा इसके लिए भी पीटीआई को एक राजनीतिक दल में शामिल होना होगा. अगर वे मौजूदा पार्टियों में से एक समूह के रूप में हो जाते हैं तो पहले वे सदन के नेता का चुनाव करना चाहेंगे. यदि वह ऐसा करने में नाकामयाब होते हैं तो दूसरा सबसे अच्छा विकल्प विपक्ष के नेता का चुनाव करना होगा. 


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