Pakistan Election 2024: पाकिस्तान की नई पार्टी मरकजी मुस्लिम लीग (PMML) ने सोमवार को पंजाब प्रांत के कसूर जिले में एक रैली का आयोजन किया. इस दौरान पार्टी के नेताओं ने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला. रैली के दौरान खुले मंच से कश्मीर में जिहाद करने की कसमें दिलाई गई. एमएमएल पार्टी को लश्कर-ए-तैयबा का पॉलिटिकल मोर्चा बताया जा रहा है, इस पार्टी को बनाने के पीछे घोषित आतंकी हाफिज सईद है. 


एक रिपोर्ट के मुताबिक रैली के दौरान मरकजी लीग के वक्ता भारत को केंद्र में रखकर भाषण दे रहे थे. इन लोगों ने विदेश नीति में बदलाव किए जाने पर जोर देते हुए कहा कि फिलिस्तीन और कश्मीर को ज्यादा मदद करने की जरूरत है. वक्ताओं ने कहा कि जब तक कश्मीर को हम पाकिस्तान में नहीं मिला लेते हमें चैन नहीं मिलने वाला है. इस दौरान पाकिस्तान में जिहाद करने की कसमें भी खाई गई. खुले मंच से भारत विरोधी और कश्मीर में जिहाद के नारे लगवाए गए. 


पाकिस्तान के आम चुनाव में मरकजी मुस्लिम लीग नाम की इस पार्टी को 2008 में हुए मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के प्रतिबंधित कई समूहों का नया चेहरा माना जा रहा है. पार्टी ने पाकिस्तान के कई शहरों में अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. इन उम्मीदवारों में ज्यादातर लोग हाफिज सईद के रिश्तेदार हैं या पूर्व के प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा और मिल्ली मुस्लिम से जुड़े लोग हैं.


हाफिज सईद का बेटा चुनाव में दिखा रहा दमखम- रिपोर्ट
एक रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2008 में संयुक्त राष्ट्र ने 'वैश्विक आतंकवादियों' की सूची में हाफिज सईद का नाम जोड़ा था, जो लाहौर की एक जेल में बंद है. हाफिज सईद को पाकिस्तान की एक अदालत ने आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के मामले में कुल 31 साल की सजा सुनाई है. दूसरी तरफ हाफिज सईद का बेटा तल्हा सईद मरकजी मुस्लिम लीग पार्टी के कैंडिडेट के तौर पर पाकिस्तान के आम चुनाव में भाग ले रहा है. तल्हा सईद लाहौर की एनए-122 सीट से नेशनल असेंबली के लिए मैदान में है.


हाफिज का दामाद भी लड़ रहा चुनाव
रिपोर्ट के मुताबिक हाफिज सईद के बेटे की तरह ही उसका दामाद हाफिज नेक गुज्जर भी मरकजी मुस्लिम लीग के टिकट पर पंजाब विधानसभा के लिए चुनाव लड़ रहा है. बता दें कि हाफिज सईद इससे पहले भी राजनीति में पैठ जमाने की कोशिश कर चुका है. पाकिस्तान में साल 2018 में हुए चुनाव में भी हाफिज सईद ने 'मिल्ली मुस्लिम लीग' नाम से पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की कोशिश की थी, लेकिन पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने पार्टी को मान्यता नहीं दी. इसकी वजह 2018 में उसका राजनीतिक प्लान फेल हो गया था. 


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