इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में बुधवार को ईशनिंदा की आरोपी एक ईसाई महिला की फांसी की सजा को पलट दिया. अपने पड़ोसियों के साथ विवाद के दौरान इस्लाम का अपमान करने के आरोप में 2010 में आसिया बीबी को दोषी करार दिया गया था. उन्होंने हमेशा खुद को बेकसूर बताया हालांकि बीते आठ वर्ष में उन्होंने अपना अधिकतर समय एकांत कारावास में बिताया.


पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लेकर समर्थन बेहद मजबूत है और आसिया बीबी के मामले ने लोगों को अलग-अलग धड़ों में बांट दिया है. पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार की अगुवाई वाली शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार सुबह अपना फैसला सुनाया. पीठ ने इस नतीजे पर पहुंचने के करीब तीन सप्ताह बाद इस संबंध में फैसला सुनाया . फैसला आने में हो रही देरी को देखते हुए ईशनिंदा विरोधी प्रचारकों ने प्रदर्शन की धमकी दी थी.


निसार ने फैसले में कहा, ‘‘उनकी दोषसिद्धि को निरस्त किया जाता है और अगर अन्य आरोपों के तहत जरूरी नहीं हो , तो उन्हें फौरन रिहा किया जाये.’’ बीबी पर 2009 में ईशनिंदा का आरोप लगा था और 2010 में निचली अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनायी थी जिसे 2014 में लाहौर उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था. बहरहाल हिंसा की आशंका को देखते हुए इस्लामाबाद में सुनवाई के दौरान कड़े सुरक्षा इंतजाम किये गये थे.


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