Hindu Temple In Pakistan: पाकिस्तान (Pakistan) के लाहौर (Lahore) में स्थित 1200 साल पुराने हिंदू मंदिर (Hindu Temple) पर से अवैध कब्जा (Illegal Occupansts) हटाने के बाद अब इसका जीर्णोद्धार (Restored) किया जाएगा. पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के पूजा स्थलों की देखरेख करने वाली संघीय निकाय इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) ने पिछले महीने लाहौर के एक ईसाई परिवार (Christian Family) से प्रसिद्ध अनारकली बाजार लाहौर (Anarkali Bazaar Lahore) के पास स्थित वाल्मीकि मंदिर (Valmiki Mandir) का कब्जा वापस ले लिया था. ईसाई परिवार, जो हिंदू धर्म में परिवर्तित होने का दावा करता है, पिछले दो दशकों से केवल वाल्मीकि जाति के हिंदुओं को मंदिर में पूजा के लिए सुविधा प्रदान कर रहा था. 


ईटीपीबी के प्रवक्ता आमिर हाशमी ने बताया कि आने वाले दिनों में 'मास्टर प्लान' के तहत वाल्मीकि मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा. उन्होंने कहा, "100 से अधिक हिंदू, कुछ सिख और ईसाई नेता आज वाल्मीकि मंदिर में इकट्ठा हुए. हिंदुओं ने अपने धार्मिक अनुष्ठान किए और पहली बार लंगर (प्रसाद) का आयोजन किया गया."


लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मिला कब्जा


ईसाई परिवार ने बीस साल से भी अधिक समय पहले मंदिर पर कब्जा कर लिया था. हांलाकि, राजस्व रिकॉर्ड में मंदिर की जमीन को ईटीपीबी को हस्तांतरित कर दी गई थी लेकिन ईसाई परिवार ने 2010-2011 में संपत्ति के मालिक होने का दावा करते हुए कोर्ट में मामला दायर किया था. मामला कोर्ट पहुंचा तो इस बार अदालत ने याचिकाकर्ता को झूठे दावों को खारिज करते हुए उसे फटकार भी लगाई.


आपको बता दें कि 1992 में भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हथियारों से लैस गुस्साई भीड़ ने वाल्मीकि मंदिर में धावा बोल दिया. भीड़ ने कृष्ण और वाल्मीकि मंदिरों स्थापित मूर्तियों को तोड़ दिया. इसके अलावा मंदिर परिसर की रसोई में बर्तन और क्रॉकरी को नुकसान पहुंचाया और मंदिर के भीतर मूतियों पर सजे सोने के जेवरों को लूट लिया.


कौन है ईटीपीबी


ईटीपीबी के प्रवक्ता ने डॉन अखबार को बताया कि पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एक सदस्यीय आयोग ने सरकार को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि हिंदू समुदाय को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए. बता दें कि ETPB उन सिखों और हिंदुओं द्वारा छोड़े गए मंदिरों और भूमि की देखभाल करता है जो विभाजन के बाद भारत में चले गए थे. यह पूरे पाकिस्तान में 200 गुरुद्वारों और 150 मंदिरों की देखरेख करता है.


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