चीन ने बुधवार को कहा कि अमेरिका के निवर्तमान डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा हिंद-प्रशांत रणनीति की हिमायत का मकसद चीन को ‘रोकना’, क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचाना तथा क्षेत्र में अमेरिकी दादागिरी को कायम रखना है. चीन की यह तीखी प्रतिक्रिया ऐसे वक्त आयी है, जब अमेरिकी सरकार के सार्वजनिक हुए एक दस्तावेज में कहा गया है कि भारत समान सोच रखने वाले देशों के सहयोग से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के खिलाफ ‘‘शक्ति संतुलन’’ बनाने का काम करेगा.


अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने हाल में 10 पृष्ठ के दस्तावेज को सार्वजनिक किया था और अब इसे व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए ‘यूएस स्ट्रैटेजिक फ्रेमवर्क’ दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘भारत सुरक्षा मामलों पर अमेरिका का पंसदीदा साझेदार है.


दोनों दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया और आपसी चिंता वाले अन्य क्षेत्रों में समुद्री सुरक्षा बनाए रखने और चीनी प्रभाव को रोकने में सहयोग करते हैं. भारत में सीमा पर चीन की उकसावे की कार्रवाई का जवाब देने की क्षमता है.’’


दस्तावेज जारी किए जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘‘कुछ अमेरिकी नेता गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की विरासत छोड़कर जाना चाहते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘...लेकिन इसकी विषयवस्तु से चीन को दबाने, इसे रोकने और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को नुकसान पहुंचाने के अमेरिका के बुरे इरादों का पता चलता है. संक्षेप में यह दादागिरी कायम रखने की रणनीति है.’’


लिजियान ने कहा कि अमेरिका की रणनीति ने शीत युद्ध की मानसिकता और सैन्य टकराव की सोच को जाहिर किया है जो कि क्षेत्रीय सहयोग की भावना के खिलाफ है. यह क्षेत्र में शांति और उन्नति के लिए नुकसानदेह है.


उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका ने खेमेबाजी करने की मंशा जता दी है. क्षेत्र में शांति, स्थिरता को नुकसान पहुंचाकर गड़बड़ी फैलाने वालों का असली चेहरा सामने आ चुका है.’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन शांतिपूर्ण विकास के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि चीन को उम्मीद है कि अमेरिका इस तरह की मानसिकता को छोड़ देगा.


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