बिहार में नवनियुक्त आयुष चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र देने के दौरान हुई एक घटना ने राज्य की राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक बहस को जन्म दे दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसके बाद इस कार्यक्रम की चर्चा केवल प्रशासनिक उपलब्धि तक सीमित नहीं रही. वीडियो सामने आने के बाद धार्मिक स्वतंत्रता, महिला सम्मान और व्यक्तिगत सहमति जैसे मुद्दों पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

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यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद में आयोजित किया गया था, जहां एक हजार से अधिक आयुष चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र सौंपे जा रहे थे. इसी दौरान मंच पर हुई एक घटना ने पूरे आयोजन की दिशा बदल दी.

महिला आयुष चिकित्सक से जुड़ा मामला

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सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के अनुसार, नियुक्ति पत्र लेने मंच पर पहुंची एक महिला आयुष चिकित्सक, जिनका नाम नुसरत परवीन बताया जा रहा है, मुख्यमंत्री के सामने खड़ी थी. वीडियो में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कथित रूप से उनके चेहरे की ओर इशारा करते हुए हाथ बढ़ाते दिखाई देते हैं और इसी दौरान महिला का हिजाब हटता हुआ नजर आता है. इस पल में महिला चिकित्सक असहज दिखाई देती हैं. हालांकि यह एक औपचारिक सरकारी कार्यक्रम था, लेकिन वीडियो सामने आने के बाद लोगों ने इसे केवल एक क्षणिक घटना मानने के बजाय व्यक्तिगत सम्मान और धार्मिक आस्था से जोड़कर देखना शुरू कर दिया.

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया

वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. कई लोगों ने मुख्यमंत्री के व्यवहार को अनुचित बताया और उनसे सार्वजनिक माफी की मांग की. कुछ यूजर्स का कहना था कि किसी भी व्यक्ति की धार्मिक पहचान और निजी सीमाओं का सम्मान किया जाना चाहिए, खासकर एक सार्वजनिक मंच पर. इस घटना को लेकर मीडिया में भी व्यापक चर्चा शुरू हो गई. पाकिस्तान के प्रमुख अख़बार डॉन ने भी इस पर रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें कहा गया कि महिला की सहमति से पहले ही ऐसा कदम उठाया गया. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री के इस्तीफे तक की मांग उठने लगी है.

पाकिस्तान से आई धमकी और बयान

विवाद ने उस समय और तूल पकड़ लिया, जब पाकिस्तान के कुख्यात डॉन शहजाद भट्टी ने एक वीडियो जारी कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धमकी दी. उसने माफी न मांगने की स्थिति में गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी. इस बयान को भारत में उकसावे और प्रचार का प्रयास माना जा रहा है.

मानवाधिकार संगठनों की जांच की मांग

इस पूरे मामले पर पाकिस्तान के कुछ मानवाधिकार संगठनों ने भी प्रतिक्रिया दी है. पाकिस्तान मानवाधिकार परिषद और मानवाधिकार आयोग ने घटना की निंदा करते हुए भारत सरकार से निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की है. उनका कहना है कि यह मामला महिला की गरिमा, धार्मिक स्वतंत्रता और बुनियादी मानवाधिकारों से जुड़ा हुआ है. इन संगठनों ने यह भी कहा कि संबंधित महिला चिकित्सक से आधिकारिक स्तर पर माफी मांगी जानी चाहिए और भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों, इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और कानूनी उपाय किए जाने चाहिए.

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