New Zealand Voting Rights: न्यूजीलैंड (New Zealand) में 16 साल के लड़के-लड़कियों को मतदान का अधिकार (Right to Vote) देने पर विचार हो रहा है. प्रधानमंत्री जसिंडा आर्डर्न (Jacinda Ardern) ने सोमवार (21 नवंबर) को कहा कि वह मतदान के लिए उम्र संबंधी नया कानून बनाने के लिए संसद (Parliament) में विधेयक (Bill) लाएंगी. 


गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, 16 साल के किशोर-किशोरियों को मतदान का अधिकार देने पर विचार सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले के बाद किया जा रहा है, जिसमें कहा गया कि 18 साल की मौजूदा उम्र 'भेदभावपूर्ण' है और युवाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन करती है.


क्या कहा न्यूजीलैंड की पीएम ने?


रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री जसिंडा आर्डर्न व्यक्तिगत रूप से इस बदलाव का समर्थन करती हैं. मताधिकार को लेकर नया कानून बनाने के लिए संसद के कुल सदस्यों में से 75 फीसदी सांसदों के की जरूरत होगी. वहीं, सरकार के पास वर्तमान में विधेयक को पारित कराने के लिए संसद में जरूरी संख्याबल नहीं है.


अंग्रेजी समाचार पोर्टल द इंडिपेंडेंट ने पीएम आर्डर्न के हवाले से लिखा, ''मैं व्यक्तिगत रूप से मतदान की उम्र घटाने का समर्थन करती हूं लेकिन यह केवल मेरे या सरकार के बस की बात नहीं है. इस तरह के चुनावी कानून में किसी भी बदलाव के लिए 75 फीसदी संसदीय समर्थन की जरूरत होती है.'' लिबरल लेबर पार्टी का नेतृत्व करने वाली पीएम जसिंडा आर्डर्न ने कहा कि इस मुद्दे पर सभी सांसदों की राय होनी चाहिए.


न्यूजीलैंड की कोर्ट ने दिया यह तर्क


न्यूजीलैंड की कोर्ट ने तर्क दिया था कि जलवायु संकट जैसे मुद्दों पर मतदान करने के लिए युवाओं को सक्षम होना चाहिए क्योंकि यह  उनके भविष्य से जुड़ा मामला है. उल्लेखनीय है कि कई देशों में मताधिकार का प्रयोग करने की उम्र को लेकर बहस चल रही है कि इसे कम किया जाए या नहीं. कुछ देशों ने 16 वर्ष की आयु के किशोर-किशोरियों को मताधिकार दे दिया है, इनमें ऑस्ट्रिया, माल्टा, ब्राजील, क्यूबा और इक्वाडोर शामिल हैं. 


समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, न्यूजीलैंड के 'मेक इट 16' अभियान के 18 वर्षीय सह-निदेशक सनत सिंह ने कहा कि वह अदालत के फैसले से रोमांचित हैं. उन्होंने कहा, ''यह एक बड़ा दिन है, यह हमारे अभियान के लिए ही नहीं, बल्कि देश के लिए ऐतिहासिक है.'' सनत सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन जैसे अस्तित्व संबंधी मुद्दे, साथ ही महामारी से उबरने और लोकतंत्र की स्थिति जैसे मुद्दे युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करेंगे.


न्यूजीलैंड में बाकी दलों का क्या कहना है?


पीएम आर्डर्न ने कहा कि आने वाले महीनों में विधेयक को पारित कराने की कोशिश की जाएगी लेकिन कोई भी निर्णय अगले वर्ष के आम चुनाव तक प्रभावी नहीं होगा. लिबरल ग्रीन पार्टी ने कहा है कि वह इस बदलाव के लिए समर्थन करती है लेकिन न्यूजीलैंड के दो कंजर्वेटिव विपक्षी दलों ने कहा है कि वे इस बदलाव का विरोध करते हैं.


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