नेपाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन को लेकर जनता में विद्रोह की आग धधक चुकी है. लोग सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी बीच नेपाल की सेना ने प्रदर्शनकारियों से देश में शांति और सद्भाव रखने की अपील की है.
सेना ने कहा कि कठिन परिस्थितियों में भी नेपाल की स्वतंत्रता, संप्रभुता, भौगोलिक अखंडता, स्वाधीनता, राष्ट्रीय एकता और नेपाली लोगों के जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रही है. नेपाल और नेपाली जनता के कल्याण और सुरक्षा के लिए सेना सदैव समर्पित हैं.
'देश के संपत्तियों की रक्षा सभी की जिम्मेदारी'
नेपाली सेना ने आगे कहा, 'वर्तमान बदलती परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, नेपाल और नेपाली जनता के जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए नेपाल की सेना प्रतिबद्ध है. इस कठिन परिस्थिति में देश की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, पुरातात्विक और राष्ट्रीय संपत्तियों की रक्षा करना हम सभी की साझा जिम्मेदारी है.'
जनता से आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, 'इसलिए, नेपाल सेना सभी युवा कर्मियों और देशवासियों से अनुरोध करती है कि वे सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता बनाए रखते हुए संयम बरतें, ताकि वर्तमान स्थिति को और अधिक जटिल होने से रोका जा सके.'
बातचीत के जरिए निकालें समस्या का समाधान
नेपाली सेना ने कहा, 'चूंकि राष्ट्रपति की ओर से प्रधानमंत्री (के पी शर्मा ओली) का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है, इसलिए हम सभी से संयम बरतने और इस कठिन परिस्थिति में जान-माल को और नुकसान न होने देने की अपील करते हैं.' उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से राजनीतिक बातचीत के जरिए समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकालने की भी अपील की.
संयुक्त बयान में कहा गया, 'बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण समाधान ही व्यवस्था और स्थिरता बहाल करने का एकमात्र तरीका है.' बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में नेपाली सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल, नेपाल सरकार के मुख्य सचिव ई. नारायण आर्यल, गृह सचिव गोकर्ण दावडी, सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) के प्रमुख राजू आर्यल, पुलिस महानिरीक्षक चंद्र कुबेर खापुंग और राष्ट्रीय जांच विभाग के प्रमुख हुतराज थापा शामिल हैं.
संसद भवन पर प्रदर्शनकारियों का हमला
बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने देश में जारी सरकार विरोधी जबर्दस्त प्रदर्शन के मद्देनजर मंगलवार (09 सितंबर, 2025) को इस्तीफा दे दिया. वहीं, प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल सहित कई शीर्ष राजनीतिक नेताओं के निजी आवास पर हमला किया और संसद भवन में तोड़फोड़ की.
छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों में राजनीतिक वर्ग के खिलाफ कई कारणों को लेकर आम लोगों का बढ़ता आक्रोश झलक रहा है, जिसमें सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और कथित भ्रष्टाचार जैसे कई मुद्दे शामिल हैं. प्रदर्शनकारी कर्फ्यू और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बावजूद काठमांडू और अन्य स्थानों पर एकत्र हुए.
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