Nepal Plane Crash Eyewitnesses: नेपाल के पोखरा में रविवार (15 जनवरी) को हुए विमान हादसे में 68 शव निकाले जा चुके हैं. चार अब भी लापता हैं. दुर्घटनास्थल से बरामद 68 में से 35 शवों की अब तक पहचान की जा चुकी है. जो चार लोग अभी भी गायब हैं, वे सभी बच्चे बताए जा रहे हैं. उनके बचने की संभावना भी बहुत कम है. इस बीच कुछ चश्मदीद भी सामने आए हैं, जिन्होंने हादसे की भयावता को बयां किया है. चश्मदीदों ने कहा है कि वे बाल-बाल बच गए थे क्योंकि विमान उनकी बस्ती के पास ही दुर्घटना का शिकार हुआ था.


चश्मदीदों ने बताया कि उन्होंने बम जैसे धमाके की आवाज सुनी थी. काठमांडू पोस्ट अखबार को चश्मदीद कल्पना सुनार ने बताया, "मैं अपने घर के सामने के आंगन में कपड़े धो रही थीं, तभी आसमान से एक विमान को गिरते देखा, जो मेरी ही दिशा में आ रहा था." उसने कहा, "विमान एक असामान्य कोण पर झुका हुआ था और पलभर बाद मैंने बम जैसा विस्फोट सुना. फिर मैंने देखा कि सेती घाटी से काला धुंआ निकल रहा है." 


बस्ती में विमान गिरता तो कई लोग मरते


स्थानीय निवासी गीता सुनार के घर से करीब 12 मीटर दूर विमान का एक पंख जमीन से टकराया. चमत्कारिक ढंग से बच निकलने वाली गीता ने काठमांडू पोस्ट अखबार को बताया, "अगर विमान हमारे घर के थोड़ा सा भी करीब आ जाता, तो बस्ती नष्ट हो जाती." उसने कहा, "घटना स्थल पर बहुत नुकसान हुआ था लेकिन यह बस्ती से दूर हुआ था, इसलिए बस्ती में कोई नुकसान नहीं हुआ और ना ही कोई चोटिल हुआ." उसने कहा, "सेती घाटी के दोनों तरफ आग लगी थी. लाशें इधर-उधर बिखरी पड़ी थीं."


'कुछ लोग मदद की गुहार लगा रहे थे'


समाचार एजेंसी एएनआई ने हादसे की जगह पर काम कर रहे लोगों से बात की और उन्होंने हादसे के वक्त क्या हुआ था, इसके बारे में पूरी जानकारी दी. एक चश्मदीद दीपक साही पोखरा ने बताया कि उसने अचानक एक तेज आवाज सुनी, उस आवाज के बाद जब वह घटनास्थल पर पहुंचा तो उसने देखा वहां कुछ लोग घायल हैं और मदद की गुहार लगा रहे हैं. वहीं कुछ लोगों की मौत हो चुकी थी. एक अन्य चश्मदीद महमूद खान ने बताया कि जब हम अपने घरों में थे तब हमने एक तेज आवाज सुनी और वहां पर धुएं का एक बड़ा बादल देखा.


'चाहकर भी नहीं कर पाए मदद'


स्थानीय निवासी विष्णु तिवारी ने बताया कि वे लोगों की मदद के लिए दुर्घटनास्थल पर पहुंचे. लेकिन कोहरे और विमान के टुकड़ों में लगी आग के चलते रेस्क्यू अभियान ठीक से नहीं चल सका. तिवारी ने बताया कि आग की लपटें इतनी तेज थीं कि कोई भी मलबे के पास नहीं जा सका. उन्होंने कहा, मैंने एक व्यक्ति को मदद के लिए चिल्लाते देखा, लेकिन आग इतनी तेज थी, कि हम लोग उसकी मदद नहीं कर सके. 


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