Nepal Election 2022: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में आज (रविवार) नई सरकार के लिए वोटिंग हो रही है. शांतिपूर्वक और निष्पक्ष मतदान संपन्न कराने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. भारत और चीन की सीमाओं को सील कर दिया गया है. साल 2015 में घोषित किए गए नए संविधान के बाद ये दूसरा चुनाव है. देश के करीब 1 करोड़ 80 लाख से ज्यादा वोटर अपनी सरकार को चुनेंगे. इस चुनाव में मुख्य मुकाबला प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा और मुख्य विपक्षी नेता केपी ओली के बीच है. नेपाल में हो रहे इस चुनाव पर भारत की निगाहें भी जमी हुई हैं.


नेपाल की संघीय संसद के कुल 275 सदस्य हैं जिनमें से 165 सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से होगा, बाकी 110 सदस्यों का चुनाव आनुपातिक पद्धति से होगा. इसी तरह प्रांतीय विधानसभा के कुल 550 सदस्यों में से 330 सीधे निर्वाचित होंगे और 220 आनुपातिक तरीके से चुने जाएंगे. 


देउवा और ओली में मुख्य मुकाबला


इस चुनाव में शेरबहादुर देउबा के नेतृत्व में सत्तारुढ़ नेपाली कांग्रेस गठबंधन में देउबा की पार्टी नेपाली कांग्रेस, प्रचण्ड की पार्टी माओवादी केंद्र, माधव नेपाल की यूनीफाइड सोशलिस्ट पार्टी (USP), महन्थ ठाकुर की लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (LSP) शामिल है. इसी तरह से केपी ओली के नेतृत्व में नेपाल कम्यूनिष्ट पार्टी (UML) और उपेन्द्र यादव के नेतृत्व वाली जनता समाजवादी पार्टी (JSP) ने गठबंधन किया हुआ है. 


राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी भी मैदान में


नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने और संवैधानिक राजतंत्र को स्थापित करने के मुद्दे को लेकर राष्‍ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) भी मैदान में है. राष्‍ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के चेयरमैन राजेंद्र लिंगडेन ने वादा किया है कि यदि वो चुनाव जीतते हैं तो फिर से राजतंत्र को देश का संरक्षक बनाया जाए. इसके अलावा उन्होंने देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने का वादा किया है. नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने का मुद्दा भी काफी गरम है. इस लिहाज इस मुकाबला त्रिकोणीय दिखाई दे रहा है. 


चुनाव पर भारत की नजरें भी टिकीं


चुनाव पर भारत की नजरें भी टिकी हैं. दरअसल नेपाल सिर्फ भारत का ही नहीं बल्कि चीन का भी पड़ोसी है. भारत को चौतरफा घेरने के लिए चीन नेपाल की जमीन का इस्तेमाल करना चाहता है. वहीं भारत के नेपाल के साथ बड़े ही घनिष्ठ रिश्ते हैं. भारत हर मौके पर उसकी मदद करता है. इतना ही नहीं इन चुनावों को भी संपन्न कराने में अपना पूरा सहयोग कर रहा है. नेपाल की नई सरकार ही तय करेगी कि अब उसे भारत या चीन में से किसका साथ चाहिए. 


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