नई दिल्ली: चीन की बढ़ती सैन्य ताकत का मुकाबला करने के लिए भारत अब एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है. इसके तहत भारतीय नौसेना अंडमान निकोबार में अपना तीसरा एयरबेस खोलने जा रही है. इसके सहारे मलक्का स्ट्रेट के जरिए हिंद महासागर में घुसने वाले चीनी जहाजों और सबमरीनों की निगरानी की जाएगी. ये जानकारी फौज के अधिकारियों ने दी है.

पड़ोसी में चीन जैसी बेहद बड़ी समुद्री ताकत ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं. पाकिस्तान से श्रीलंका तक नेवी बेस बनाकर चीन भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है. भारत को चिंता है कि ये एक आउटपोस्ट में तब्दील हो सकता है. अंडमान मलक्का स्ट्रेट वाली एंट्री के करीब है. चीन का मुकाबला करने के लिए भारत ने यहां जहाज और एयरक्राफ्ट तैनात किए हैं.  ये पीएम मोदी के आने के बाद सेना को और ताकत देने के तहत किया गया है.

नेवी चीफ अनिल लांबा नए बेस को अधिकृत करेंगे. इसका नाम आईएनएस खोसा है. नेवी ने एक बयान में कहा कि ये पोर्ट ब्लेयर से 300 किलोमीटर की दूरी पर है. इस तीसरे बेस में 1000 किलोमीटर का रनवे होगा जिससे हेलीकॉप्टर और एयरक्राफ्ट उड़ान भर सकेंगे. इसे बढ़ाकर 3000 किलोमीटर किए जाने का प्लान है ताकि इस पर फाइटर प्लेन भी उतारे जा सकें.

आपको बात दें कि हिंद महासागर से हर साल कम से कम एक लाख़ बीस हज़ार जहाज़ गुज़रते हैं. उनमें से 70,000 मलक्का स्ट्रेट से होकर गुज़रते हैं. पूर्वी नेवी कोमोडोर अनिल जय सिंह ने कहा, "चीन की उपस्थिति बेहद तेज़ी से बढ़ रही है. अगर हमें इस पर निगरानी रखनी है तो हमें अंडमान में बेहतर तरीके से तैयार रहना होगा." उन्होंने कहा, "अगर आपके पास एयरबेस है तो आप बड़े इलाके की निगरानी कर सकते हैं."

आपको बता दें कि 2014 में एक चीनी सबमरीन श्रीलंका के एक बंदरगाह पर रुका था. इसके बाद से ही दिल्ली के कान खड़े हैं. भारत ने इस मामले को श्रीलंका के साथ उठाया भी था. वैसे भी भारत और चीन अपने प्रभाव का विस्तार करने की जंग लड़ रहे हैं. दिल्ली का पूरा प्रयास है कि क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव को वापस धक्का देकर पीछे भेजा जा सके. इस हफ्ते भारत के सैन्य अधिकारी मालदीव के रक्षा मंत्री से भी बात करने वाले हैं. वहां हाल ही में चीन समर्थक सरकार को देश की जनता ने नकार दिया है.

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