राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के मुताबिक रविवार (16 नवंबर) को म्यांमार में 3 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप 10 किलोमीटर की उथली गहराई पर आया, जिससे इसके बाद झटकों की आशंका बनी रहती है. बता दें कि उथले भूकंप गहरे भूकंपों की तुलना में इसलिए ज्यादा खतरनाक होते हैं क्योंकि पृथ्वी की सतह के पास आने पर उनकी ऊर्जा ज़्यादा निकलती है, जिससे जमीन ज़्यादा हिलती है और इमारतों को ज़्यादा नुकसान पहुंचता है और लोग हताहत होते हैं.
ये स्थिति गहरे भूकंपों की तुलना में ज़्यादा गंभीर होती है, क्योंकि सतह पर आते ही उनकी ऊर्जा कम हो जाती है. इससे पहले 14 नवंबर को 3.9 तीव्रता का भूकंप 35 किलोमीटर की गहराई पर आया था. एक्स पर एक पोस्ट में NCS ने इसकी जानकारी दी. म्यांमार मध्यम और बड़ी तीव्रता वाले भूकंपों के खतरों के प्रति संवेदनशील है, जिसमें इसकी लंबी तटरेखा पर सुनामी का खतरा भी शामिल है.
4 टेक्टोनिक प्लेटों के बीच स्थित है म्यांमार म्यांमार चार टेक्टोनिक प्लेटों (भारतीय, यूरेशियन, सुंडा और बर्मा प्लेट) के बीच स्थित है, जो एक्टिव भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं में परस्पर क्रिया करती है. 28 मार्च को मध्य म्यांमार में आए 7.7 और 6.4 तीव्रता के भूकंपों के बाद, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में विस्थापित हुए हज़ारों लोगों के लिए तेजी से बढ़ते स्वास्थ्य खतरों की एक श्रृंखला की चेतावनी दी. जिनमें टीबी, एचआईवी, वेक्टर और जल-जनित बीमारियां शामिल हैं.
क्या है सागाइंग फ़ॉल्टम्यांमार से होकर 1,400 किलोमीटर लंबा एक ट्रांसफ़ॉर्म फ़ॉल्ट गुजरता है और अंडमान के फैलाव केंद्र को उत्तर में स्थित एक टकराव क्षेत्र से जोड़ता है जिसे सागाइंग फ़ॉल्ट कहा जाता है. सागाइंग फ़ॉल्ट, सागाइंग, मांडले, बागो और यांगून के लिए भूकंपीय खतरे को बढ़ाता है, जो कुल मिलाकर म्यांमार की 46 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं.
एएनआई के मुताबिक यांगून फ़ॉल्ट ट्रेस से दूर है, फिर भी अपनी घनी आबादी के कारण यह काफी जोखिमग्रस्त है. बता दें कि 1903 में बागो में 7.0 तीव्रता का एक तीव्र भूकंप आया था, जिसने यांगून को भी प्रभावित किया था.
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