पाकिस्तान में संविधान संशोधन को लेकर विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है. संविधान के 27वें संशोधन के खिलाफ देश की न्यायपालिका खुलकर विरोध कर रही है. इसी कड़ी में शनिवार (15 नवंबर, 2025) को लाहौर हाई कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस शम्स महमूद मिर्जा ने अपना इस्तीफा दे दिया. जस्टिस मिर्जा का लाहौर हाई कोर्ट में कार्यकाल साल 2028 तक था, लेकिन उन्होंने 27वें संशोधन को संविधान और न्यायपालिका पर हमला और देश की न्याय व्यवस्था के लिए खतरनाक बताते हुए अपने पद का त्याग कर दिया.

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लाहौर हाई कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस शम्स महमूद मिर्जा के इस कदम को पाकिस्तान के न्याय प्रणाली में एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह देश के इतिहास पर पहली बार हुआ जब देश के संविधान में एक संशोधन के विरोध में हाई कोर्ट के एक जज ने अपना इस्तीफा दे दिया है.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों ने भी दिया इस्तीफा

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वहीं, जस्टिस शम्स के इस्तीफे से पहले सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जज जस्टिस सैयद मनसूर अली शाह और जस्टिस अथर मीनल्लाह ने भी इस संशोधन के विरोध करते हुए इसे संविधान और न्यायपालिका पर हमला करार देते हुए अपना इस्तीफा दे दिया.

इस पूरे विवाद को लेकर पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पर आरोप लगाए जा रहे हैं. मुनीर पर संवैधानिक बदलाव कर पाकिस्तान की संविधान पर कब्जा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया जा रहा है.

किस बात को लेकर हो रहा विवाद?

पाकिस्तान में इतने बड़े विवाद के पीछे 27वें संवैधानिक संशोधन है, जिसके तहत देश में एक नई फेडरल कॉन्स्टियूशनल कोर्ट (FCC) को स्थापित किया गया है. संशोधन के मुताबिक, अब एफसीसी देश में संविधान से जुड़े सभी बड़े मामलों को सुनेगी और मौजूदा सुप्रीम कोर्ट को सिर्फ सिविल और आपराधिक मामलों तक सीमित कर दिया गया है. ऐसे में पाकिस्तान के न्यायाधीशों का कहना है कि इस संशोधन के कारण सुप्रीम कोर्ट के पहले स्थान का दर्जा छीनकर दूसरी लाइन में खड़ा कर देगा.

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