Melting Swiss Glacier: स्विट्जरलैंड के स्विस आल्प्स (पर्वत) की पहाड़ियों में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां 37 साल पहले लापता हो चुके एक पर्वतारोही के शव के अवशेष मिले हैं. दावा किया जा रहा है कि ग्लेशियर पिघलने के कारण यह संभव हो पाया है. डीएनए टेस्ट के बाद पुष्टि हुई कि बरामद शव 38 साल के लापता पर्वतारोही के ही थे. 

 

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 12 जुलाई को शव की खोज की गई थी, जब स्विट्जरलैंड के जर्मेट के दक्षिण में थियोडुल ग्लेशियर पर पर्वतारोहियों ने पिघली हुई बर्फ में मानव अवशेष को देखा था. उन्होंने इस बात की जानकारी पुलिस को दी. जिसके बाद अवशेषों को पास के शहर सायन के वैलेस अस्पताल में फोरेंसिक मेडिसिन यूनिट में भेज दिया गया. अस्पताल में हुए डीएनए टेस्ट में इस बात की पुष्टि हुई कि यह अवशेष 38 वर्षीय पर्वतारोही का है, जो 1986 में पहाड़ पर लापता हो गया था. 

 

डीएनए जांच से हुई पहचान संभव 

 

अवशेषों को सबसे पहले देखने वाले पर्वतारोहियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने सबसे पहले जूते देखे, फिर जूते के नीचे बर्फ से चिपके हुए एक क्रैम्पन डिवाइस को देखा. जो जूतों के निचले हिस्से से जुड़ा होता है और चढ़ाई में मार्गदर्शन करता है. ऐसे में उन्हें समझ आ गया कि ये किसी पर्वतारोही के ही अवशेष हैं.

 

वहीं, पुलिस ने एक बयान में कहा कि डीएनए जांच के बाद पर्वतारोही की पहचान संभव हो सकी. पुलिस ने बताया कि ये अवशेष जर्मन पर्वतारोही है, जो 1986 में  चढ़ाई के बाद वापस नहीं लौटा था. पत्रकारों को जानकारी देते हुए पुलिस की तरफ से पर्वतारोही के जूतों की एक तस्वीर सार्वजनिक की गई, जिसमें बर्फ से चिपके लाल फीते वाले जूते देखने को मिलें.

 

ग्लेशियर पिघलने के कारण मिला अवशेष 

 

बता दें कि, जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं. ऐसे में तमाम पर्वतारोहियों के शव बरामद हो रहे हैं. पुलिस ने भी कहा कि  हाल फिलहाल में ग्लेशियरों के पिघलने के कारण कई पर्वतारोहियों के शव मिले हैं, जिनके लापता होने की खबर दशकों पहले दर्ज कराई गई हो.