London India Club: लंदन में 70 साल पुराना ऐतिहासिक ‘इंडिया क्लब’ रविवार (17 सितंबर) से हमेशा के लिए बंद हो जाएगा. भारत की आजादी की लड़ाई में इस इंडिया क्लब की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. लंदन स्थिति इस क्लब में 1930 से 1940 के दशक में अंग्रेजों से देश को आजाद कराने के लिए राष्ट्रवादी नेताओं का जमावड़ा लगता था.


गौरतलब है कि इस क्लब के संस्थापक सदस्य कृष्ण मेनन थे, जो ब्रिटेन में स्वतंत्र भारत के पहले उच्चायुक्त बने थे. यूके के शुरुआती भारतीय रेस्तरां में से एक 'इंडिया क्लब' भारतीय स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश दक्षिण एशियाई समुदाय के रूप में बदल गया. क्लब की प्रबंधक फिरोजा मार्कर ने कहा, "जब से लोगों को पता चला कि हम 17 सितंबर को इसे बंद कर रहे हैं, वे पूरी तरह से सदमे में हैं.'' 


17 सितंबर से हमेशा के लिए बंद हो जाएगा क्लब 


इससे पहले फिरोजा मार्कर ने कहा, ''बहुत भारी मन से हम इंडिया क्लब को बंद करने की घोषणा करते हैं, जिसका आखिरी दिन 17 सितंबर को है, उस दिन यह जनता के लिए खुला रहेगा.'' उन्होंने आगे कहा कि हम यहां से इसे बंद कर रहे हैं लेकिन स्थानांतरित करने के लिए आसपास के क्षेत्र में नए परिसर की तलाश कर रहे हैं. बता दें कि पारसी मूल के यादगर मार्कर अपनी पत्नी फ्रेनी और बेटी फिरोजा के साथ प्रतिष्ठान चला रहे हैं. 


लंबे समय से लड़ी जा रही थी लड़ाई


इंडिया क्लब को बंद करने के खिलाफ काफी लंबी लड़ाई लड़ी गई, जिसमें समर्थकों को हार का सामना करना पड़ा. लंदन में मार्कर परिवार ने लंबे समय तक 'सेव इंडिया क्लब' मुहिम चलाई, हालांकि उन्हें जीत नसीब नहीं हुई. क्लब की प्रबंधक फिरोजा मार्कर ने कहा कि भारतीयों के लिए ये जगह घर से बाहर घर के जैसी है. यहां आने वाले वाले हर भारतीय को हमेशा अपनेपन का अहसास हुआ है. 


ब्रिटिश भारतीय इतिहासकार और पत्रकार श्रबनी बसु ने कहा, "यह बिल्कुल दिल तोड़ने वाला है. लंदन में भारतीय इतिहास का एक टुकड़ा हमेशा के लिए खो जाएगा. लंदन में स्थित एक भारतीय पत्रकार के रूप में, यह हमारे लिए प्रेरणा स्रोत था. ऐतिहासिक बार में अब बीयर और पकौड़े नहीं मिलेंगे. हम इसे मिस करेंगे.''


इंडिया क्लब में होती थी प्लानिंग 


दरअसल, भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए ब्रिटेन में इंडिया लीग नामक एक संगठन बनाया गया था. लीग की स्थापना 1928 में कृष्ण मेनन ने की थी. ऐसे में इंडिया लीग ब्रिटेन की सभी बैठकें लंदन के इंडिया क्लब में की जाती थीं. यही वजह है कि इस क्लब से भारतीयों की कई सुनहरी यादें जुड़ी हुई हैं. 


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