काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के दशहरे के शुभकामना संदेश में नेपाल का पुराना मानचित्र इस्तेमाल किया. भारत के तीन को नेपाल का हिस्सा दिखाने वाले मानचित्र को नहीं दिखाने पर देशवासी उनसे नाराज हो गए हैं और ओली की आलोचना कर रहे हैं.


हालांकि प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस आरोपों को खारिज किया और कहा कि संशोधित मानचित्र का आकार छोटा है और इस लिए वह दिख नहीं रहा है. जून में नेपाल की संसद ने देश के नए मानचित्र को मंजूरी दी थी जिसमें कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया था जो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ का भाग है.


ओली ने शुक्रवार को ट्विटर पर नेपाल के लोगों को विजयदशमी की शुभकामनाएं दी. फेसबुक और ट्विटर समेत सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली ने भारत की खुफिया एजेंसी ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’(रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल के साथ मुलाकात के बाद जानबूझकर संशोधित मानचित्र हटा दिया.


मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता विश्व प्रकाश शर्मा ने कहा, “प्रधानमंत्री के शुभकामना संदेश में पुराना मानचित्र है जिसमें लिंपियाधुरा शामिल नहीं है. यह सामान्य गलती कैसे हो सकती है?”


बहुत से लोगों ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से पूछा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने उस मानचित्र से सरकारी चिह्न क्यों हटा लिया जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा शामिल है.


आलोचना का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री के संदेश में संशोधित मानचित्र का प्रयोग किया गया था लेकिन बेहद छोटा होने के कारण वह नजर नहीं आ रहा.


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