नई दिल्ली: आईएसआईएस यानि इस्लामिक स्टेट और इराक एंड सीरिया अरब दशों के रेगिस्तान और शहरों में खौफ की सबसे बड़ी पहचान बन चुका है. चंद सालों में ही लाखों मासूमों के लिए कफन तैयार करने वाला ये आतंकवादी संगठन अपनी नफरत से दुनिया को बर्बाद और तबाह कर देना चाहता है.
ISIS मौजूदा समय में ओसामा बिन लादेन के संगठन अल-कायदा और अफीक्रा के आतंकवादी संगठन बोको हराम से भी ज्यादा खूंखार है और ये संगठन आज पूरी दुनिया के सामने बड़ी चुनौती है.
इसका मकसद करीब 14 सौ साल पहले सऊदी अरब में जो खलीफा राज या इस्लामिक राज कायम किया गया था. उसे दोबारा स्थापित करना है.
असल गढ़
भारत से करीब 4 हजार 2 सौ किलोमीटर दूर मेडीटेरियन समुद्र के किनारे इराक और सीरिया देशों में ISIS का असल अड्डा है.
ISIS बीते एक दशक से इराक की जमीन पर अपने नापाक मसूंबों को अंजाम देने में जुटा है.
अब तक के हमले
इराक और सीरिया के बडे हिस्सों पर इसका कब्जा है. वहां लड़ाई जा रही है. ISIS ने इराक और सीरिया से बाहर फ्रांस की राजधानी पेरिस और लेबनान की राजधानी बेरुत में बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दे चुका है. बेरुत में 43 और पेरिस में 129 लोगों की जान ली. आईएस ने साल 2015 में रूस के उस जहाज को भी गिराने का दावा किया जिसमें 224 लोग मारे गए थे.
भारत कनेक्शन
मध्यप्रदेश और लखनऊ में आईएसआईएस के हमले देश में इस संगठन का पहला हमला है. हालांकि, इससे पहले कई लड़कों के इस संगठ से जुड़े होने और इराक और सीरिया में जाकर युद्ध लड़ने की बातें जरूर आईं, लेकिन जहां तक किसी आतंकी साजिश को अंजाम तक पहुंचाने का मामला है तो ये पहली घटना है.
कैसे हुई शुरुआत
आईएस के आंतक की आग की चिंगारी उस वक्त सुलगी थी जब आंतकी संगठन अलकायदा ने साल 2001 में अमेरिका पर आतंकवादी हमला किया था.
साल 2001 में जब अलकायदा ने अमेरिका पर आतंकी हमला किया था उस वक्त ISIS भी अलकायदा का ही एक हिस्सा हुआ करता था. आईएसआईएस यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ सीरिया एंड इराक तब इराक में सक्रिय था और इसका चीफ अबु मुसाब अल जरकावी हुआ करता था. जॉर्डन के रहने वाले जरकावी ने इराक में बगावत का झंडा बुलंद कर रखा था. और इराक युद्ध के बाद वो बेहद क्रूर आंतकी हमले कर रहा था.
सीरिया और इराक में आईएस के उभार की जड़े 2003 के इराक युद्ध और अफगानिस्तान पर अमेरिका के हमले से जुड़ी हुई है. उसके खौफ ने सीरिया के करीब 65 लाख लोगों को बेघर कर दिया है. करीब 30 लाख लोग सीरिया छोड़ कर आस-पास के मुल्कों में शरण ले चुके हैं.
हालांकि, अमेरिकी सेना ने 2006 में इराक में आईएस का खात्मा कर दिया और उसके प्रमुख अबु मुसाब अल जरकावी को भी मार गिराया था. अमेरिकी फौज के इस मिशन में जरकावी के कई वफादार लड़ाके भी पकड़े गए थे जिनमें इराक के ही समारा शहर का रहने वाला अबूबक्र बगदादी भी शामिल था. अमेरिकी सेना ने अगले 4 सालों तक बगदादी को इराक की अबू बूक्का जेल में कैद रखा था. साल 2009 में जब बगदादी जेल से निकला तब तक इराक और अफगानिस्तान के हालात बदल चुके थे.
साल 2009 में अबूबक्र बगदादी एक बार फिर आईएस से जुड़ गया था और इसके अगले ही साल आईएस के दो टॉप कमांडरों की मौत के बाद उसे आईएस का चीफ भी बन गया था. बगदादी ने इस्लामिक स्टेट को क्रूरता की ऐसी ऊंचाई तक पहुंचाया जिसको लेकर अलकायदा जैसे आतंकी सगंठने से भी उसका अलगाव हो गया.
साल 2011 में आतंकी ओसामा बिन लादेन मारा गया और अलकायदा बेहद कमजोर पड़ गया. बगदादी ने ऐसे में सीरिया के आतंकी संगठन अल नुसरा और लेवांत इलाके में काम कर रहे आतंकियों को भी अपने संगठन में मिला लिया और नए संगठन का नाम रखा गया आईएसआईएल यानी अब बगदादी बड़े इस्लामिक राष्ट्र का सपना देख रहा था जिसे लेवांत कहा जाता है.
सीरिया में बीते पांच सालों में करीब 60 लाख सीरीयाई देश छोड़ चुके है. सीरिया में पलायन की ये समस्या ही आईएस के खौफ को बयान करने के लिए काफी है. आखिर महज चार साल में ISIS दुनिया के लिए इतना बड़ा खतरा कैसे बन गया.
मौजूदा ताकत
बेहद खतरनाक हो चुका ये चरमपंथी संगठन ऑटोमैटिक मशीनगनों, रॉकेट और टैंकों जैसे अत्यआधुनिक हथियारों से लैस है. आईएस आधुनिक संचार के साधनों और इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी का भी बखूबी इस्तेमाल कर रहा है.
लॉस एंजिलिस टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 में करीब 10 हजार लड़ाकों के आईएस में शामिल होने का अनुमान था.
आज आईएस इंटरनेट के माध्यम से पूरी दुनिया में अपना प्रचार तंत्र खड़ा कर चुका है. वो लगातार दुनिया के कई देशों से अपने संगठन के लिए भर्तिया कर रहा है.