अमेरिका की उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद से भारतीय मूल की कमला हैरिस  खुशी से फूली नहीं समा रही हैं. उन्होंने अपनी ऐतिसाहिक जीत के लिए अपने समर्थकों को भी धन्यवाद दिया है. उन्होने कहा कि, "ये मेरे या जो बाइडेन के चुनाव में जीत से कहीं बड़ी बात है, ये अमेरिका की आत्मा है और संघर्ष करते रहने की इच्छा की बात है." उन्होने कहा कि, ‘हमें अब आगे बहुत काम करना है’.


अपनी मां को याद कर भावुक हुई कमला हैरिस


राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन के दौरान कमला हैरिस अपनी मां श्यामला गोपालन को याद कर भावुक भी हो गईं. उन्होंने कहा कि, “आज मैं अपनी मां की वजह से यहां मौजूद हूं और इस कारण अपनी मां श्यामला गोपालन को धन्यवाद कहना चाहती हूं.” उन्होंने अपनी मां के बारे में बताया कि जब वह सिर्फ 19 साल की थी तब वह भारत ये यहां आई थीं, उस समय हो सकता है कि उन्होंने इस पल के बारे में नहीं सोचा होगा, लेकिन उन्होंने अमेरीकी मूल्यों में गहराई से यकीन किया, जहां ऐसे मौके संभव हैं.


संभावनाओं वाला देश है अमेरिका


कमला हैरिस ने आगे कहा कि वे अपनी मां और उनकी पीढ़ी की महिलाओं, अश्वेत महिलाओं, एशियन व्हाइट, लैटिन, नैटिव और अमेरिकन महिलाओं के हितों को लेकर सोच रही हैं, जो अमेरिका के इतिहास में लगातार इस पल के लिए संघर्ष करती रही हैं. वे आगे कहती हैं कि हो सकता है कि वे अपने समुदाय से इस पद पर पहली महिला हो, लेकिन इस पद पर पहुंचने वाली अंतिम महिला नहीं हैं. आज हर छोटी बच्ची ये देख रही है, उसे पता है कि ये देश संभावनाओं वाला देश है.


हैरिस की जीत के बाद तमिलनाडु के गांव में जश्न का माहौल


गौरतलब है कि कमला हैरिस को चुनाव में मिली जीत के बाद भारत के तमिलनाडु के तिरुवर जिले थुलासेंद्रापुरम गांव में भी जश्न मनाया जा रहा है. दरअसल बता दें कि कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन इसी गांव से थीं. 56 वर्षीय सीनेटर कमला हैरिस 3 एशियाई अमेरिकी सीनेटरों में से हैं और वह इस चैंबर में आने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी सीनेटर भी हैं.


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