अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाको (John Kiriakou) ने खुलासा किया है कि 2002 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के बेहद करीब थे. यह स्थिति दिसंबर 2001 में संसद हमले और उसके बाद शुरू हुए ऑपरेशन पराक्रम के दौरान बनी थी. उन्होंने बताया कि अमेरिकी खुफिया तंत्र को उस वक्त इतना गंभीर खतरा महसूस हुआ कि इस्लामाबाद में तैनात अमेरिकी अधिकारियों के परिवारों को तुरंत बाहर निकाल लिया गया था.

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एएनआई को दिए एक विशेष इंटरव्यू में किरियाको ने बताया, “हम मान चुके थे कि भारत और पाकिस्तान युद्ध करने जा रहे हैं. हमने अपने परिवारों को इस्लामाबाद से निकाल लिया था. हमें पूरा यकीन था कि भारत और पाकिस्तान युद्ध करने जा रहे हैं.” उन्होंने कहा कि हालात इतने तनावपूर्ण थे कि उस समय अमेरिकी उप विदेश मंत्री को लगातार दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच आना-जाना पड़ा, ताकि दोनों देशों के बीच समझौता हो सके और युद्ध टल जाए. किरियाको के मुताबिक, 9/11 के बाद अमेरिका पूरी तरह अल-कायदा और अफगानिस्तान पर केंद्रित था. इसी वजह से भारत के सुरक्षा हितों को उतनी गंभीरता से नहीं लिया गया.

किरियाको ने किया ये बड़ा खुलासा

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उन्होंने कहा, “हम अल-कायदा को लेकर इतने व्यस्त थे कि भारत के बारे में दो बार भी नहीं सोचा.” किरियाको ने आगे कहा कि 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के वक्त अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने यह सही अंदाजा लगाया था कि इसके पीछे पाकिस्तान समर्थित कश्मीरी आतंकी संगठन थे. उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह अल-कायदा का काम था. यह पूरी तरह पाकिस्तानी समर्थित कश्मीरी ग्रुप्स की साजिश थी और यही सच साबित हुआ.” उन्होंने ये भी कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह रही कि पाकिस्तान लगातार भारत में आतंकवाद फैलाता रहा, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कभी सख्त कदम नहीं उठाए.

उन्होंने आगे कहा, “पाकिस्तान भारत में आतंकवाद करवा रहा था और कोई कुछ नहीं कर रहा था,” किरियाको ने बताया कि सीआईए के भीतर भारत की नीति को ‘स्ट्रैटेजिक पेशेंस’ (रणनीतिक संयम) कहा जाता था. वो बोले, “भारत ने संसद हमले और मुंबई हमले के बाद संयम दिखाया, लेकिन अब वक्त आ गया है जब भारत को यह ध्यान रखना होगा कि उसका संयम कहीं कमजोरी न समझा जाए.”

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध पर क्या बोले किरियाको?

किरियाको ने चेतावनी दी कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच पारंपरिक युद्ध (Conventional War) हुआ तो पाकिस्तान को निश्चित रूप से हार का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा, “अगर वास्तविक युद्ध हुआ तो पाकिस्तान हार जाएगा. मैं परमाणु युद्ध की बात नहीं कर रहा, सिर्फ पारंपरिक युद्ध में भी उसकी हार तय है.” उन्होंने कहा कि भारत की सैन्य शक्ति और रणनीतिक क्षमताएं पाकिस्तान की तुलना में बहुत आगे हैं.

उन्होंने आगे कहा, “भारत को उकसाने से पाकिस्तान को कोई फायदा नहीं होगा. वे हारेंगे. बस इतना ही स्पष्ट है.” किरियाको ने भारत की हालिया सैन्य कार्रवाइयों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक और 2025 के ऑपरेशन सिंदूर जैसे कदमों से यह साफ कर दिया है कि वह सीमा पार आतंकवाद या परमाणु धमकी से डरने वाला देश नहीं है. उन्होंने कहा, “भारत ने बार-बार दिखाया है कि वह आतंक और ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा.”

व्हाइट हाउस ने कार्रवाई से किया इनकार

जब उनसे पूछा गया कि इतने सबूतों के बावजूद अमेरिका ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की तो उन्होंने कहा,  “यह फैसला व्हाइट हाउस का था. उस वक्त अमेरिका के लिए पाकिस्तान से रिश्ता भारत से ज्यादा जरूरी था. हमें पाकिस्तान की जरूरत थी, उन्हें हमारी नहीं.”

कौन हैं जॉन किरियाको?

जॉन किरियाको ने 15 साल तक सीआईए में सेवा दी. वे पहले विश्लेषक रहे और बाद में 9/11 के बाद पाकिस्तान में काउंटर टेररिज्म ऑपरेशंस के प्रमुख बने. उन्होंने पेशावर, कराची, लाहौर, फैसलाबाद और क्वेटा में अल-कायदा के ऑपरेटिव्स को ट्रैक किया. 2007 में उन्होंने अमेरिकी मीडिया पर आकर खुलासा किया कि सीआईए पूछताछ के दौरान टॉर्चर (यातना) का इस्तेमाल कर रही थी और वॉटरबोर्डिंग जैसी तकनीकों से कैदियों से जानकारी ली जा रही थी. इसके बाद उन्हें 23 महीने की जेल हुई, लेकिन वे आज भी कहते हैं,  “मुझे कोई पछतावा नहीं है. जो किया, सच के लिए किया.”

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