Fumio Kishida on Japan Population Crisis: जापान में घटती आबादी का गंभीर संकट पैदा हो गया है. देश में जन्मदर घटने से सरकार की बेचैनी बढ़ गई है. जापान के प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा (Fumio Kishida) ने सोमवार (23 जनवरी) को देश के जनसंख्या संकट (Japan Population Crisis) के बारे में एक सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि गिरती जन्म दर (Lowest Birth Rates) की वजह से देश सामाजिक कार्यों को बनाए रखने में सक्षम नहीं है.


सांसदों को संबोधित करते हुए जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने कहा कि घटती आबादी के संकट को दूर करने के लिए अब और इंतजार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने 'अभी नहीं तो कभी नहीं' की नीति पर आगे बढ़ने का विचार किया.


जापान में घटती आबादी का संकट


प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने कहा, "हमारे देश की अर्थव्यवस्था और समाज की स्थिरता और समावेशिता की सोच में हम बच्चों के पालन-पोषण के समर्थन को अपनी सबसे अहम पॉलिसी के रूप में रखते हैं." किशिदा ने आगे कहा कि वह चाहते हैं कि सरकार बच्चों से संबंधित कार्यक्रमों पर अपने खर्च को दोगुना करे और इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अप्रैल में एक नई सरकारी एजेंसी स्थापित की जाएगी.


जापान में सबसे कम जन्मदर


जापान में दुनिया में सबसे कम जन्म दर है. जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अनुमान के मुताबिक 1899 में जन्म दर को लेकर रिकॉर्ड रखने की परंपरा शुरू होने के बाद पहली बार 2022 में 8 लाख से कम जन्म दर्ज किया गया. देश में दुनिया में सबसे ज्यादा जीवन प्रत्याशा भी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में जापान में 1,500 में से लगभग एक व्यक्ति की उम्र 100 या उससे अधिक थी.


जापान में बढ़ रही बुजुर्गों की संख्या


देश में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है. वहीं काम करने वाले लोगों की कमी दिख रही है. ऐसे में स्थिर अर्थव्यवस्था और सिकुड़ते कार्यबल में अंतराल को भरने के लिए पर्याप्त संख्या में युवाओं की कमी महसूस की जा रही है. घटती आबादी को लेकर सरकार की चिंता बढ़ी है और जन्मदर बढ़ाने को लेकर सरकार तेजी से काम करना चाहती है.


जापान में जन्मदर में गिरावट की वजह?


जापान में कम जन्म दर के पीछे एक्सपर्ट कई कारकों की ओर संकेत करते हैं. देश में रहने की उच्च लागत, सीमित स्थान और शहरों में बच्चों की देखभाल को लेकर सहायता की कमी की वजह इन कारकों में शामिल है. बच्चों की देखभाल के लिए सहायता की कमी से उन्हें पालना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में लोग परिवार की जनसंख्या बढ़ाने में विश्वास नहीं करते. बताया जाता है कि हाल के वर्षों में विवाह और परिवार शुरू करने के प्रति दृष्टिकोण में भी बदलाव आया है.


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