इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट 4 अप्रैल को भारत के दौरे पर आ रहे हैं. इस दौरान दोनों देशों के बीच यूक्रेन संकट को लेकर चर्चा हो सकती है. बेनेट की यह यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है जब दोनों देश राजनयिक संबंधों की स्थापना के 30 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके इजरायली समकक्ष ने आखिरी बार पिछले साल नवंबर में ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP 26 के दौरान मुलाकात की थी. भारत और इज़राइल के बीच 29 जनवरी 1992 को पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे. और इस वर्ष की शुरुआत में इस मौके को चिह्नित करने के लिए एक स्मारक लोगो लॉन्च किया गया. लोगो में डेविड के सितारे और अशोक चक्र को दर्शाया गया है और यह अंक 30 बनाता है जो द्विपक्षीय संबंधों की 30वीं वर्षगांठ के रूप को दर्शाता है. 


4 अप्रैल को भारत दौरे पर आएंगे इजरायल के पीएम


फरवरी में भारत के कई लोकप्रिय इमारतों जैसे मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया और दिल्ली में तीन मूर्ति हाइफ़ा चौक और इज़राइल के मसादा किले को भारतीय और इजरायल के झंडे के रंगों से जगमगाते देखा गया. बेनेट की यात्रा के दौरान यूक्रेन संकट पर चर्चा होने की संभावना है. भारतीय और इस्राइली प्रधानमंत्रियों ने संकट को लेकर रूस और यूक्रेन के नेतृत्व के साथ बातचीत भी की है. पीएम बेनेट मास्को का औचक दौरा भी किया था. वही पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला शुरू के बाद से कई बार इस मुद्दे पर बात कर चुके हैं. 


कैसे हैं भारत-इजरायल के बीच संबंध?


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में भारत और इजरायल के बीच संबंध गहरे हुए हैं. पिछले साल विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और पूर्व वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया समेत कई उच्च-स्तरीय सम्मानित व्यक्तियों ने इज़राइल का दौरा किया था. उससे पहले पीएम मोदी ने 2017 में इज़राइल का दौरा किया था, जिसके दौरान संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में अपग्रेड किया गया था. इसके बाद इज़राइल के तत्कालीन प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 2018 में भारत का दौरा किया. रक्षा, कृषि और व्यापार दोनों देशों के बीच संबंधों के प्रमुख स्तंभ रहे हैं.


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