Palestinian Prisoner: इजराइल की जेलों में सबसे लंबी 40 साल की सजा काटने के बाद आज गुरुवार (5 जनवरी) को फिलिस्तीनी कैदी करीम यूनिस को रिहा कर दिया गया है. इजराइली जेल अधिकारियों ने 66 वर्षीय यूनुस को गुरुवार की सुबह तेल अवीव के उत्तर में हदरीम जेल से रिहा कर दिया.


उन्हें 1983 में गिरफ्तार किया गया था और तीन साल पहले कब्जे वाले सीरियाई गोलन हाइट्स में एक इजराइली सैनिक की हत्या के साथ इजरायली अदालतों में आरोप लगाया गया था. यूनिस इजराइल के आरा के फिलिस्तीनी गांव के रहने वाले हैं, जहां गुरुवार (5 जनवरी) को उनके नजदीकी रिश्तेदारों और दोस्तों ने उन्हें बधाई दी.


रिहाई की तुलना आर्मी ऑपरेशन से की
करीम यूनिस ने अपनी रिहाई के तुरंत बाद अल जज़ीरा से बात की और इस रिहाई की तुलना आर्मी ऑपरेशन से की. उन्होंने कहा कि तेल अवीव के उत्तर में स्थित एक कस्बे रानाना में छोड़ने से पहले, उन्हें अलग-अलग पुलिस कारों के बीच ले जाया गया था. वहां किसी राहगीर की मदद से उन्होंने अपने परिवार से संपर्क किया. करीम यूनिस के गांव आरा से रिपोर्ट करते हुए, अल जज़ीरा के इमरान खान ने कहा कि यूनिस को सुबह 5:30 बजे रिहा किया गया था और लोग उनके स्वागत के लिए उनके गांव की सड़कों पर उमड़ पड़े थे.


फिलिस्तीनी संघर्ष में एक प्रमुख व्यक्ति 
विदेशी मीडिया ने कहा कि करीम यूनिस फिलिस्तीनी संघर्ष में एक प्रमुख व्यक्ति में से एक थे. उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है. जब उन्हें गिरफ्तार किया गया तो फिलिस्तीनी राजनीति के भीतर एक उभरते हुए सितारे थे. उन पर हत्या का आरोप लगाया गया था. इजराइली जेलों में फिलिस्तीनी कैदियों का विशाल बहुमत कब्जे वाले वेस्ट बैंक से है, यूनिस इजराइल के एक फिलिस्तीनी नागरिक हैं.


फिलिस्तीनियों का कहना है कि वह बस कब्जे का विरोध कर रहा था. इजराइलियों का कहना है कि यह एक आंतरिक इजराइली मामला था. उन्हें मूल रूप से उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, जिसे बाद में 40 साल कर दिया गया था. अपनी रिहाई के बाद, यूनिस ने अपनी मां की कब्र का दौरा किया, जिनकी आठ महीने पहले मृत्यु हो गई थी.


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