Israel-Palestine Conflict News: इजराइल और हमास के बीच एक बार फिर भिड़ंत हो गई है. हमास ने गाजा स्ट्रिप से इजरायल के ऊपर 5000 रॉकेट्स दागने का दावा किया है. हमास के हमले की वजह से आधिकारिक तौर पर एक महिला की मौत हुई है. इजराइल ने भी हमास को चेतावनी देते हुए युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा है. इस बात की जानकारी सामने आई है कि हमास के लड़ाकों ने इजरायल में घुसपैठ की है और सैनिकों पर गोलियां बरसाईं हैं. 


फिलस्तीनी चरमपंथियों के संगठन हमास को इजराइल ने भी जवाब दिया है. गाजा स्ट्रिप के पास इजराइली सैनिकों और हमास के लड़ाकों के बीच मुठभेड़ हो रही है. इजराइल ने गाजा स्ट्रिप पर हमला करना शुरू कर दिया है. ये पहला मौका नहीं है, जब इजराइल और फिलस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास के बीच युद्ध हुआ है. 2021 में भी दोनों के बीच जंग हुई थी. ऐसे में आइए जानते हैं कि इजराइल-फिलस्तीन विवाद क्या है, जिसकी वजह से इस बार हमास और इजराइल भिड़े हैं. 


इजरायल-फलस्तीन का भूगोल क्या है? 


मिडिल ईस्ट में मौजूद इजराइल एक यहूदी देश है. इसके पूर्वी हिस्से में वेस्ट बैंक मौजूद हैं, जहां 'फिलस्तीन नेशनल अथॉरिटी' फिलस्तीनी लोगों के लिए सरकार चलाती है. इसे संयुक्त राष्ट्र से मान्यता मिली हुई है. इजरायल के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से पर एक पट्टी है, जो दो तरफ से इजराइल से घिरी है, एक तरह से भूमध्यसागर है और एक तरफ से मिस्र की ओर से. इसे गाजा स्ट्रिप के तौर पर जाना जाता है. वेस्ट बैंक और गाजा स्ट्रिप को आमतौर पर फिलस्तीन के तौर पर जाना जाता है. 


इजराइल में इजराइल की सरकार है, जबकि वेस्ट बैंक में फाताह पार्टी सरकार चलाती है. गाजा स्ट्रिप पर हमास का कब्जा है. 'फिलस्तीन नेशनल अथॉरिटी' को ही फिलस्तीन के तौर पर देखा जाता है. लेकिन इसके एक हिस्से यानी वेस्ट बैंक में तो सरकार है, मगर दूसरे हिस्से गाजा स्ट्रिप पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. यहां पर हमास ने तख्तापलट तक 2007 से शासन करना जारी रखा है. वेस्ट बैंक में ही इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्म का पवित्र शहर यरुशलम मौजूद है. 


क्या है इजराइल-फलस्तीन विवाद? 


इजराइल-फिलस्तीन विवाद 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. प्रथम विश्व युद्ध में ओटोमन सल्तनत की हार के बाद फिलस्तीन के नाम से पहचाने वाले हिस्से को ब्रिटेन ने अपने नियंत्रण में ले लिया. उस वक्त इजराइल नाम से कोई देश नहीं था. इजरायल से लेकर वेस्ट बैंक तक के इलाके को फिलस्तीनी क्षेत्र के तौर पर जाना जाता था. यहां पर अल्पसंख्यक यहूदी और बहुसंख्यक अरब रहा करते थे. फिलस्तीनी लोग यहीं के रहने वाले अरब थे, जबकि यहूदी लोगों के बाहर से आने की बात होती है. 


फिलस्तीनी लोगों और यहूदियों के बीच विवाद की शुरुआत तब हुई, जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ब्रिटेन को कहा कि वह यहूदी लोगों के लिए फिलस्तीन को एक 'राष्ट्रीय घर' के तौर पर स्थापित करे. यहूदियों का मानना था कि ये उनके पूर्वजों का घर है. दूसरी ओर फिलस्तीनी अरब यहां पर फिलस्तीन नाम से एक नया देश बनाना चाहते थे. उन्होंने ब्रिटेन के नए देश बनाने के कदम का पुरजोर विरोध किया. इस तरह फिलस्तीन-इजरायल विवाद की शुरुआत होने लगी. 


नया देश बनाने की शुरुआत


1920 से लेकर 1940 के बीच यूरोप में यहूदियों के साथ जुल्म किए गए. यहूदी वहां से भागकर एक देश की तलाश में यहां पहुंचने लगे. यहूदियों का मानना था कि ये उनकी मातृभूमि और वह यहां पर अपना देश बनाएंगे. इस दौरान यहूदियों और फिलस्तीनी लोगों के बीच हिंसा भी हुई. 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि यहूदियों और अरबों के लिए अलग-अलग देश बनाने के लिए मतदान किया जाए. संयुक्त राष्ट्र ने ये भी कहा कि यरुशलम एक अंतरराष्ट्रीय शहर बनाया जाएगा. 


हालांकि, यहूदियों ने संयुक्त राष्ट्र की इस बात को स्वीकार कर लिया, मगर अरब लोगों ने इसका विरोध किया. इस वजह से ये कभी लागू ही नहीं हुआ. जब ब्रिटेन से इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वह यहां से निकल गया. फिर 1948 में यहूदी नेताओं ने इजराइल के निर्माण का ऐलान कर दिया. फिलस्तीनियों ने इसका विरोध किया और इस तरह दोनों पक्षों के बीच पहले युद्ध की शुरुआत हुई. जब तक संघर्षविराम लागू हुआ, तब तक इजराइल के पास एक बड़ा हिस्सा आ गया.


यरुशलम को लेकर विवाद


फिलस्तीनी लोगों के लिए जॉर्डन और मिस्र जैसे अरब मुल्कों ने लड़ाई लड़ी थी. मगर उनकी हार की वजह से फिलस्तीन एक छोटे हिस्से में सिमट कर रह गया. जॉर्डन के कब्जे में जो जमीन आई, उसे वेस्ट बैंक का नाम मिला. जबकि मिस्र के कब्जे वाले इलाके को गाजा स्ट्रिप कहा गया. वहीं, यरुशलम शहर को पश्चिम में इजराइली सुरक्षाबलों और पूर्व में जॉर्डन के सुरक्षाबलों के बीच बांट दिया गया. ये सब बिना किसी शांति समझौते के किया गया. 


1967 में जब दोबारा युद्ध हुआ, तो इस बार इजराइल ने पूर्वी यरुशलम के साथ-साथ वेस्ट बैंक और गाजा स्ट्रिप पर भी कब्जा जमा लिया. गाजा से तो इजराइल पीछे हट गया, मगर उसने वेस्ट बैंक पर कंट्रोल जारी रखा है. इजराइल पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी के तौर पर होने का दावा करता है, जबकि फिलस्तीनी लोग इसे अपनी भविष्य की राजधानी मानते हैं. ज्यादातर फिलस्तीनी लोग अभी भी वेस्ट बैंक में ही रहते हैं, जबकि कुछ लोग गाजा स्ट्रिप में रह रहे हैं. 


यरुशलम शहर यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्म तीनों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद मौजूद है, जिसे इस्लाम की सबसे पवित्र मस्जिदों में से एक माना जाता है. यहां पर टेंपल माउंट भी है, जहां यहूदी धर्म के लोग प्रार्थना करते हैं. वहीं, यरुशलम में ईसाईयों के क्वॉटर में चर्च ऑफ द होली स्पेलकर मौजूद है, जो कि उनकी प्रमुख जगह है. ये जगह ईस मसीह की कहानी, मृत्यु, सलीब पर चढ़ाने और पुनर्जीवन की कहानी का केंद्र है. यही वजह है कि तीनों धर्मों के लोगों के बीच इस शहर को लेकर टकराव होता रहा है.


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