इजरायली सेना ने 9 सितंबर को कतर की राजधानी दोहा में हमास चीफ खलील अल-हय्या और अन्य सीनियर अधिकारियों को निशाना बनाने के उद्देश्य से हवाई हमले किए थे. बेंजामिन नेतन्याहू ने खुले तौर पर इस हमले की जिम्मेदारी ली, जिसके बाद कई देशों ने इजरायल की आलोचना की.
अब इस मामले को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है कि पहले इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को हमास नेताओं को मारने के लिए ऑपरेशन चलाने का निर्देश दिया गया, लेकिन मोसाद ने ऐसा करने से मना कर दिया.
कतर में हमास को मारने से मोसाद ने कर दिया इनकार
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल ने अपने एजेंट के जरिए कतर में हमास के नेताओं को मारने की प्लानिंग की थी, लेकिन मोसाद ने इनकार कर दिया. इसमें बताया गया कि मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया ने इस कदम का विरोध किया क्योंकि इस तरह की कार्रवाई से कतर के साथ उनकी एजेंसी के नाए रिश्ते टूट सकते थे.
हमास ने दावा किया है कि इस एयरस्ट्राइक में उसके कार्यवाहक नेता खलील अल-हय्या सहित शीर्ष अधिकारी नहीं मारे गए, बल्कि कई रिश्तेदार और सहयोगियों के साथ-साथ कतर एक अधिकारी की मौत हुई है. विश्लेषकों का मानना है कि इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने सीजफायर वार्ता को लेकर अपना धैर्य खो दिया है.
कतर ने हमले को मध्यस्थता प्रक्रिया के साथ धोखा बताया
इजरायली रक्षा बलों के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल इयाल जमीर ने हमले की टाइमिंग का विरोध किया है. वहीं रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज और सामरिक मामलों के मंत्री रॉन डर्मर ने नेतन्याहू का समर्थन किया. रिपोर्ट में पूर्व हमास नेता इस्माइल हानिया को तेहरान में कैसे मारा गया इसका भी जिक्र किया. ये भी दावा किया गया कि हमास कतर में इस तरह से ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए तैयार नहीं था.
रिपोर्ट में एक अन्य सूत्र ने बताया, "हम हमास से इन अधिकारियों को एक, दो या चार साल में पकड़ सकते हैं और मोसाद जानता है कि यह कैसे करना है." कतर ने इस हमले की निंदा करते हुए इसे स्टेट टेररिज्म और मध्यस्थता प्रक्रिया के साथ धोखा बताया.
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