Gaza Al Shifa Hospital: गाजा के सबसे बड़े अस्पताल अल शिफा पर इजरायली हमले की वजह से मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दावा किया है कि अल शिफा अब अस्पताल की तरह काम नहीं कर पा रहा है. अल शिफा में भर्ती प्रीमैच्योर बच्चों (समय से पहले जन्मे बच्चे) ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है. अस्पताल में भर्ती नवजातों की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हैं. तस्वीरों में देखा जा सकता है कि एक बिस्तर पर कई नवजात एक साथ सुलाए गए हैं. उनके शरीर पर कपड़े नहीं हैं, उन्हें हरे रंग के एक कपड़े से लपेट कर टेप से चिपका दिया गया है. कुछ बच्चों को ये कपड़े भी नसीब नहीं हैं.


इन बच्चों की जिंदगी हर बीतते वक्त के साथ खतरे के नजदीक पहुंच रही है. इन नवजात बच्चों को बिजली की कमी की वजह से इनक्यूबेटरों से निकालकर साधारण बिस्तरों पर रखा गया है. इन प्रीमैच्योर बच्चों का वजन 700 ग्राम से लेकर 1.5 किलोग्राम तक है. बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए जिन उपायों को किया जाना था वे नहीं किए गए हैं, इस वजह से बच्चे आपस में वायरस का संचार कर रहे हैं. 


'हर घंटे हो रही है बच्चों की मौत'


अल शिफा अस्पताल पर इजरायली सेना के हमले की वजह से डॉक्टर और चिकित्साकर्मी तनाव में काम कर रहे हैं. इजरायली टैंकों से घिरे होने की वजह से अस्पताल में भोजन, पानी दवा और कई चिकित्सीय उपकरणों की किल्लत हो गई है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अल शिफा अस्पताल में बाल चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. मोहम्मद तबाशा के हवाले से अस्पताल की स्थिति बताई है. 


टेलिफॉन पर दिए एक इंटरव्यू में डॉ. मोहम्मद तबाशा ने कहा, "कल अस्पताल में 39 बच्चे जिंदा थे, आज वे 36 रह गए हैं. मैं नहीं बता सकता कि वे बच्चे कितने वक्त तक जीवित रहेंगे. आज के दिन एक-दो घंटे में हम 2 और बच्चों को खो सकते हैं."


अल शिफा अस्पताल में बच्चों की देखरेख में शामिल डॉ. अहमद अल मोखलालती ने स्थिति को घातक बताया है. वे कहते हैं, "सभी बच्चे गंभीर हालातों से जुझ रहे हैं. वे बहुत बुरी स्थिति में हैं. अगर इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया तो वे धीरे-धीरे कर मर जाएंगे." 


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