Bangladesh: बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन महमूद ने शनिवार को कहा कि शेख हसीना सरकार हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके हित के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि "देश में इस वर्ष दुर्गा पूजा पर शांतिपूर्ण समारोहों का आयोजन इसका प्रमाण हैं". ‘बांग्लादेश फिल्म महोत्सव’ के उद्घाटन प्रोग्राम में शामिल होने कोलकाता आए हसन महमूद ने कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंध दोनों देशों के बीच केवल तीस्ता जल बंटवारा समझौते पर निर्भर नहीं है.


महमूद ने कोलकाता के प्रेस क्लब में संवाददाताओं से कहा, ‘‘शेख हसीना सरकार बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकार की रक्षा करने के प्रति प्रतिबद्ध है. हाल ही में दुर्गा पूजा पर शांतिपूर्ण समारोहों का आयोजन इसका प्रमाण है. इस साल 33 हजार पूजा पंडाल लगे जो वर्ष 2021 के मुकाबले 700 अधिक हैं.’’


सांप्रदायिक हिंसा का किया जिक्र


हसन महमूद ने वर्ष 2021 में दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश में हुई सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष अप्रिय घटनाओं को टालने के लिए सरकार अतिरिक्त रूप से सतर्क थी. 


टिप्पणी करने से किया इनकार 


महमूद ने एक अखबार की खबर पर टिप्पणी करने से इनकार किया जिसमें कहा गया था कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पिछले महीने अपनी नई दिल्ली यात्रा के दौरान ममता बनर्जी से मिलना चाहती थीं. इस पर उन्होंने कहा कि "यदि प्रधानमंत्री शेख हसीना मुख्यमंत्री बनर्जी से मिलना चाहती होती, तो मुलाकात जरूर हुई होती".


बनर्जी ने केंद्र सरकार की इस बात के लिए आलोचना की थी कि उन्हें प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत दौरे के दौरान आमंत्रित नहीं किया गया था. इसके जवाब में केंद्र ने कहा था कि विदेशी राष्ट्र प्रमुख के दौरे के दौरान मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित नहीं किया जाता.


बांग्लादेश में आम चुनाव 


बांग्लादेश में अगले साल होने वाले आम चुनाव को लेकर महमूद ने कहा कि "सरकार और सत्ताधारी पार्टी अवामी लीग को उम्मीद है कि इस चुनाव में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) समेत अन्य विपक्षी दल भाग लेंगे. उन्होंने कहा कि "लोकतंत्र को मजबूत करने का काम केवल सत्ताधारी दल का नहीं है, बल्कि विपक्षी दलों का भी है".


तीस्ता नदी जल बंटवारा


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण तीस्ता नदी जल बंटवारा समझौता एक दशक से अधिक समय से अधर में है. भारत और बांग्लादेश वर्ष 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ढाका यात्रा के दौरान तीस्ता जल बंटवारे को लेकर समझौता करने को तैयार थे, लेकिन बनर्जी ने राज्य में पानी की कमी का हवाला देकर इसे मानने से इनकार कर दिया था.


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