पाकिस्तान के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर इसहाक डार ने शुक्रवार (19 दिसंबर, 2025) को कहा कि भारत सिंधु जल संधि को लगातार कमजोर कर रहा है और इस तरह का उल्लंघन समझौते के मूल सिद्धांतों पर प्रहार है. इसहाक डार पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी हैं. वह चिनाब नदी के प्रवाह में बदलाव के संबंध में पाकिस्तान द्वारा भारत से स्पष्टीकरण मांगे जाने के एक दिन बाद मीडिया से बात कर रहे थे.
उन्होंने कहा, 'हमने इस साल अप्रैल में भारत की ओर से सिंधु जल संधि से एकतरफा रूप से हटने की कार्रवाई देखी… लेकिन अब हम भारत द्वारा किए जा रहे ऐसे गंभीर उल्लंघन देख रहे हैं, जो सिंधु जल संधि के मूल सिद्धांतों पर प्रहार करते हैं और क्षेत्रीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय कानून की पवित्रता दोनों के लिए गंभीर परिणाम वाले हैं.'
इस साल 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक उपाय किए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल था. वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुई यह संधि 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के वितरण और उपयोग को नियंत्रित करती रही है.
इसहाक डार ने यह भी उल्लेख किया कि भारत द्वारा किए जा रहे पानी के हेरफेर की वजह से पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त को अपने भारतीय समकक्ष को इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए पत्र लिखना पड़ा है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कृषि चक्र के महत्वपूर्ण समय में सिंधु बेसिन के जल का हेरफेर पाकिस्तान में जीवन और आजीविका के लिए सीधा खतरा है.
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने संधि के तहत अपेक्षित सूचना, जल विज्ञान संबंधी डेटा साझा करना और संयुक्त निगरानी बंद कर दी है, जिसके कारण पाकिस्तान बाढ़ और सूखे के खतरे में आ गया है. उन्होंने कहा कि पानी की आपूर्ति रोकना युद्ध का कृत्य माना जाएगा.