India China Standoff: भारतीय सेना के जवानों ने नए साल के मौके पर लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में तिरंगा फहराया तो अब चीन को मिर्ची लग गई है. चीन के ग्लोबल टाइम्स (Global Times) में लिखा गया है कि भारत में निर्णय लेने वालों को पूरी तरह से रणनीतिक संयम रखना चाहिए. चीन के मसलो को व्यापक मानसिकता के साथ संभालने की जरूरत है. भारतीय राजनेता नए साल के मौके पर दोनों देशों के बीच बांटी गई मिठाइयों को गोलियों में तब्दील न करें तो बेहतर होगा. 

  
गलवान घाटी में तिरंगे पर चीन को लगी मिर्ची


ग्लोबल टाइम्स का मानना है कि भारतीय समाज में चीन के प्रति गलत माहौल बनता दिख रहा है, चीन के साथ सहयोग करना राजनीतिक तौर पर गलत माना जा रहा है. भारत की राजनीति अमेरिका से प्रभावित हो गई है. कुछ कट्टरपंथी राजनेता चीन-भारत संबंधों पर अपने राजनीतिक उद्देश्य के लिए कीचड़ उछालते रहे हैं. चीन विरोधी केंद्रित जनमत के बीच भारत को बड़ी शक्ति बनने की महत्वाकांक्षा को साकार नहीं किया जा सकता है. यह ध्यान देने की बात है कि भारतीय मीडिया चीन पर कटाक्ष करने वाले अमेरिका या पश्चिम के विचारों को कोट करने के लिए अक्सर उत्सुक रहते हैं. ये कुछ हद तक भारतीय अभिजात वर्ग के बीच चीन के प्रति निगेटिव धारणा को मजबूत करता है.


''वास्तविक बाजार मांगों को राजनीतिक रूप से दबाया गया''


ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया है कि बिना राजनीतिक अड़चनों के चीन और भारत पारस्परिक लाभ और जीत के परिणाम हासिल कर सकते हैं. चीन-भारत व्यापार की मात्रा में 2021 में तेजी देखी गई है, और ऐतिहासिक रूप से वर्ष के पहले 10 महीनों में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड को पार कर गया. ये संकेत करता है कि आर्थिक और व्यापारिक सहयोग दोनों देशों की वास्तविक मांगों के अनुरूप है. लेकिन 2020 के बाद से चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने की भारत की घोषणा से लेकर हाल ही में कई चीनी कंपनियों में अचानक जांच तक भारत की वास्तविक बाजार मांगों को इसकी घरेलू राजनीतिक मांगों से दबा दिया गया.


''राजनीतिक विचारों का दायरा बढ़ाने की जरुरत''


ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा कि भारत ने बातचीत के अंतिम चरण में नवंबर 2019 में RCEP से हटने का फैसला किया जो भारत की अपनी पसंद है और हमारे पास इसकी ज्यादा आलोचना करने का कोई आधार नहीं है. लेकिन हम यह कहना चाहेंगे कि महामारी और वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने, सहयोग की भावना विशेष रूप से अहम है. भारतीय राजनेताओं को वास्तव में निजी राजनीतिक फायदे के लिए अपने दृष्टिकोण को कम नहीं करना चाहिए. उन्हें "नए साल की मिठाई" को गोलियों में बदलना भी नहीं चाहिए. इससे भारत को फायदे से ज्यादा नुकसान की अधिक संभावना है. भारत की पहली प्राथमिकता अब विकास होनी चाहिए युद्ध नहीं. बहरहाल गलवान घाटी पर चीन के प्रोपेगैंडा को करारा जवाब देते हुए सेना के जवानों ने दुश्मनों को बता दिया है कि वो देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर हैं. लेकिन चीन को शायद ये सब पसंद नहीं आ रहा है.