दुनिया में हर देश की अपनी मुद्रा होती है, लेकिन उनकी कीमतें समान नहीं होतीं. कुछ देशों की करेंसी इतनी कमजोर होती है कि एक भारतीय रुपया भी वहां बहुत मायने रखता है, जबकि कुछ देशों की मुद्रा इतनी मजबूत है कि अमेरिकी डॉलर भी उसके सामने छोटा पड़ जाता है. ऐसी ही एक करेंसी है कुवैती दिनार (Kuwaiti Dinar – KWD), जो आज दुनिया की सबसे मूल्यवान मुद्रा मानी जाती है.

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वाइस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक एक कुवैती दिनार की कीमत 288.72 रुपये है, जो अमेरिका के भी लगभग 3.50 डॉलर के बराबर है. इस हिसाब से अगर कोई भारतीय व्यक्ति कुवैत में जाकर 350 दिनार कमाता है तो भारत में आकर उसकी कीमत 1 लाख 10 हजार के बराबर हो जाती है. यह अंतर दिखाता है कि कुवैत की करेंसी की ताकत कितनी ज्यादा है. कुवैती दिनार इतनी महंगी क्यों है?

कुवैत भले ही क्षेत्रफल में छोटा देश हो, लेकिन उसकी अर्थव्यवस्था बेहद समृद्ध और स्थिर है. इसकी करेंसी की मजबूती कई कारणों से है. कुवैत की पूरी आर्थिक व्यवस्था तेल पर आधारित है. तेल निर्यात से देश की आमदनी अरबों डॉलर में होती है. यहां की आबादी बहुत कम है और प्रति व्यक्ति आय $35,000 से भी अधिक है. कुवैत का Kuwait Investment Authority (KIA) एक सशक्त वेल्थ फंड है, जो अंतरराष्ट्रीय निवेशों से भारी कमाई करता है. यह देश फिक्स्ड करेंसी बास्केट नीति अपनाता है, जिससे डॉलर जैसी मुद्राओं में उतार-चढ़ाव का असर बहुत कम होता है. कुवैत का निर्यात उसके आयात से कई गुना ज़्यादा है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत बना रहता है.

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भारतीय रुपया और कुवैती दिनार की तुलना

भारत की मुद्रा भारतीय रुपया (INR) विकासशील अर्थव्यवस्था की करेंसी है. भारत में बड़ी आबादी, बढ़ता व्यापार घाटा और आयात पर निर्भरता इसके मूल्य को सीमित रखती है. इसके बावजूद, भारतीय रुपया एशिया की स्थिर मुद्राओं में से एक है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश की विनिमय दर और विदेशी मुद्रा भंडार को संतुलित रखता है ताकि रुपये की स्थिरता बनी रहे. भारत का ध्यान अब आत्मनिर्भरता और निर्यात बढ़ाने पर है, जिससे भविष्य में करेंसी और मजबूत हो सके.

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